नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
समाजवादी पार्टी मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर इस हद तक भड़क गए कि उन्होंने चुनाव आयोग मरा हुआ तक घोषित कर दिया। अखिलेश ने कहा कि 'चुनाव आयोग मर गया है, सफेद कपड़ा हमें भेंट करना पड़ेगा।' अखिलेश यादव के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी तरह तरह के बयान आ रहे हैं।
अखिलेश बोले- भाजपा का यही तरीका है
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के संदर्भ में लगे आरोपों पर कहा, 'यह भाजपा का चुनाव लड़ने का तरीका है। सपा की जीत से भाजपा को बड़ी परेशानी होती है। यह जनमत का भी अपमान है। भाजपा लोकतंत्र का गला घोट देना चाहती है, हम लोकतंत्र के लिए लड़ते रहे हैं, आगे भी लड़ते रहेंगे, लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे। मिल्कीपुर उपचुनाव के मुद्दे पर ही नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने भाजपा को घेरते हुए उन्होंने कहा कि मिल्कीपुर में भाजपा ने लोकतंत्र का गला घोंटा है। जिस तरह से सरकारी मशीनरी सत्ता के आगे बिछ गई है। भाजपा को लगता है कि वह हमेशा सत्ता में बने रहेंगे, लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता। इतना सब होने के बाद भी संभव है कि मिल्कीपुर की जनता भाजपा को सबक सिखा दें।'
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संभल के सांसद ने क्या कहा
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए संभल से सपा सांसद जियाउर रहमान बर्क ने कहा कि, ' हमारी पार्टी चुनाव आयोग से शिकायत करती रही, उसके बाद भी उपचुनाव में गड़बड़ी हो गई। हमारे नेता अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया पर यही कहा है कि पुलिस की मदद से चुनावों में गड़बड़ी हो रही है, लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि यह चुनाव सपा ही जीतेगी।'
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पीठासीन अधिकारी का स्टिंग भी किया था वायरल
मतदान के दिन शाम को लखनऊ में बैठे अधिकारी पीठासीन अधिकारियों से बात करके टारगेट चैक कर रहे हैं, इस तरह का स्टिंग होने का दावा करते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने एक्स हैंडल से एक ऑडियो क्लिप शेयर की थी। इस पोस्ट पर उन्होंने लिखा था कि 'ये हैं पीठासीन अधिकारियों की सच्चाई का स्टिंग ऑपरेशन जो सत्ताधारी के लिए फर्जी मतदान का टार्गेट पूरा कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने मांग की थी की इनके बूथों पर तुरंत चुनाव रद्द किया जाए और इन्हें प्रथमदृष्ट्या आडियो सबूतों के आधार पर निलंबित किया जाए। उन्होंने मांग की थी कि सर्वोच्च न्यायालय और निर्वाचन आयोग लोकतंत्र के इन दुश्मनों का तत्काल संज्ञान ले।
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