मथुरा, वाईबीएन डेस्क:मथुरा-वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनका नाम और उपदेश न सिर्फ बुजुर्गों बल्कि बच्चों और युवाओं तक को प्रभावित कर रहा है। भक्तों में उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। मगर इसी बीच एक ऐसा बयान सामने आया है जिसने संत जगत में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यह बयान किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने दिया है।
प्रेमानंद महाराज न तो विद्वान हैं और न ही चमत्कारी
दरअसल एक यूट्यूब चैनल को दिए गए इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि सोशल मीडिया पर कई लोग प्रेमानंद महाराज को चमत्कारी बताते हैं और उनके प्रवचनों को विशेष मानते हैं, तो इस पर रामभद्राचार्य ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि प्रेमानंद महाराज न तो विद्वान हैं और न ही चमत्कारी। इतना ही नहीं, उन्होंने प्रेमानंद महाराज को एक बालक के समान बताते हुए चुनौती दी कि यदि उनमें वास्तव में कोई शक्ति है, तो वे उनके सामने संस्कृत का एक अक्षर बोलकर दिखाएं या किसी संस्कृत श्लोक का अर्थ समझाकर बताएं।
भक्तों की भीड़ किसी को चमत्कारी नहीं बना सकती
रामभद्राचार्य ने कहा कि उनके अनुसार असली चमत्कार वही है, जिसके पास शास्त्रों का गहन ज्ञान हो। शास्त्र जिसको आए वही चमत्कार है कहते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि महज लोकप्रियता या भक्तों की भीड़ किसी को चमत्कारी नहीं बना सकती। जैसे ही रामभद्राचार्य का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, बहस छिड़ गई और प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। एक वर्ग ने उन्हें अहंकारी बताया और कहा कि किसी संत की सार्वजनिक रूप से ऐसी आलोचना उचित नहीं है। वहीं, दूसरी ओर प्रेमानंद महाराज के भक्तों और समर्थकों ने उनकी जमकर प्रशंसा की और उन्हें महान संत करार दिया।
सोशल मीडिया पर छेड़ी बहस
इस पूरे विवाद ने संत समाज और श्रद्धालुओं के बीच गहरी चर्चा छेड़ दी है। जहां एक ओर प्रेमानंद महाराज के भक्त उनके ज्ञान और भक्ति को अनोखा मानते हैं, वहीं रामभद्राचार्य की टिप्पणी ने उनकी छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर चल रही इस बहस से यह स्पष्ट है कि यह मामला अभी थमने वाला नहीं है और आने वाले दिनों में और गहरा सकता है। premanand ji maharaj | rambhadracharya
Premanand Maharaj को जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने दी संस्कृत बोलने की चुनौती,सोशल मीडिया पर बहस तेज
मथुरा-वृंदावन के लोकप्रिय संत प्रेमानंद महाराज पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बयान से विवाद खड़ा हो गया। इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि प्रेमानंद न तो विद्वान हैं और न ही चमत्कारी, बल्कि एक बालक के समान हैं।
मथुरा, वाईबीएन डेस्क:मथुरा-वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनका नाम और उपदेश न सिर्फ बुजुर्गों बल्कि बच्चों और युवाओं तक को प्रभावित कर रहा है। भक्तों में उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। मगर इसी बीच एक ऐसा बयान सामने आया है जिसने संत जगत में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यह बयान किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने दिया है।
प्रेमानंद महाराज न तो विद्वान हैं और न ही चमत्कारी
दरअसल एक यूट्यूब चैनल को दिए गए इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि सोशल मीडिया पर कई लोग प्रेमानंद महाराज को चमत्कारी बताते हैं और उनके प्रवचनों को विशेष मानते हैं, तो इस पर रामभद्राचार्य ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि प्रेमानंद महाराज न तो विद्वान हैं और न ही चमत्कारी। इतना ही नहीं, उन्होंने प्रेमानंद महाराज को एक बालक के समान बताते हुए चुनौती दी कि यदि उनमें वास्तव में कोई शक्ति है, तो वे उनके सामने संस्कृत का एक अक्षर बोलकर दिखाएं या किसी संस्कृत श्लोक का अर्थ समझाकर बताएं।
भक्तों की भीड़ किसी को चमत्कारी नहीं बना सकती
रामभद्राचार्य ने कहा कि उनके अनुसार असली चमत्कार वही है, जिसके पास शास्त्रों का गहन ज्ञान हो। शास्त्र जिसको आए वही चमत्कार है कहते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि महज लोकप्रियता या भक्तों की भीड़ किसी को चमत्कारी नहीं बना सकती। जैसे ही रामभद्राचार्य का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, बहस छिड़ गई और प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। एक वर्ग ने उन्हें अहंकारी बताया और कहा कि किसी संत की सार्वजनिक रूप से ऐसी आलोचना उचित नहीं है। वहीं, दूसरी ओर प्रेमानंद महाराज के भक्तों और समर्थकों ने उनकी जमकर प्रशंसा की और उन्हें महान संत करार दिया।
सोशल मीडिया पर छेड़ी बहस
इस पूरे विवाद ने संत समाज और श्रद्धालुओं के बीच गहरी चर्चा छेड़ दी है। जहां एक ओर प्रेमानंद महाराज के भक्त उनके ज्ञान और भक्ति को अनोखा मानते हैं, वहीं रामभद्राचार्य की टिप्पणी ने उनकी छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर चल रही इस बहस से यह स्पष्ट है कि यह मामला अभी थमने वाला नहीं है और आने वाले दिनों में और गहरा सकता है। premanand ji maharaj | rambhadracharya