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कृषि विभाग में इन दिनों एक ही मुद्दा छाया हुआ है। वह है 29 जून 2024 को शासन से तबादला होने के बाद भी बाबू अमित कुमार वर्मा का कृषि रक्षा विभाग से रिलीव न होना। इस बात की चर्चा चारों तरफ है कि अमित कुमार में ऐसी क्या खास बात है कि जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी उन पर इतनी मेहरबान हैं कि तबादला आदेश के बाद में इतना बवाल मचने पर भी बाबू को रिलीव नहीं कर रही हैं। वह भी तब, जब कृषि विभाग में छह अतिरिक्त बाबू वर्तमान में कार्यरत हैं। तो इसकी वजह अब निकलकर सामने आई है।
तबादले के 7 महीने बाद भी क्यों नहीं हुए रिलीव?
जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी के कार्यालय में बीस साल से कार्यरत वरिष्ठ सहायक अमित कुमार वर्मा को तबादले के सात महीने बाद भी अगर रिलीव नहीं किया गया है, तो इसकी वजह बिलकुल साफ है। बाबू जी कृषि विभाग के निवर्तमान जिला कृषि अधिकारी समेत पूर्व में रह चुके जिला कृषि अधिकारियों और लखनऊ निदेशालय के अफसरों को कृषि विभाग की ऊपरी कमाई से नैनीताल की सैर कराते हैं। कुछ दिन पहले एक पूर्व जिला कृषि अधिकारी बरेली और नैनीताल घूमने आए थे तो उनकी पूरी सेवा बाबूजी की ओर से की गई थी।
सबके चहेते क्यों हैं बाबू अमित कुमार?
कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार, अमित कुमार वर्मा की खाद बीज वितरण, फर्टिलाइजर डीलर के लाइसेंस बनाने और उनके नवीनीकरण से होने वाली ऊपरी कमाई इतनी अधिक है कि वह इस कमाई से न केवल जिला कृषि अधिकारी, बल्कि लखनऊ निदेशालय के अफसरों को भी खुश रखते हैं। एक विभागीय सूत्र ने बताया कि वर्तमान जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी के घर के अलावा नैनीताल या अन्य स्थानों पर घूमने का पूरा खर्च बाबूजी ही उठाते हैं। कुछ दिन पहले बरेली में तैनात रहे एक पूर्व जिला कृषि अधिकारी बरेली घूमने आए थे। उसके बाद वह परिवार सहित नैनीताल भी घूमने गए थे तो उनका भी पूरा खर्च बाबूजी ने ही उठाया था। इसी तरह लखनऊ कृषि निदेशालय के एक पूर्व एडिशनल डॉयरेक्टर स्तर के अफसर भी जब बरेली आए तो उनका पीलीभीत में चूका बीज और नैनीताल घूमने का पूरा खर्च भी बाबूजी ने ही उठाया था। बाबू अमित कुमार वर्मा शहद से ज्यादा मीठे, लेकिन ऊपरी कमाई करने में पूरे माहिर हैं। इसलिए अफसरों के खास बने हुए हैं। यही वजह है कि वर्तमान जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी तबादला होने के सात महीने बाद भी उनको रिलीव नहीं कर रही हैं।
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कुर्सी बचाने को नेताओं और अफसरों के घर हाजिरी
कृषि विभाग के स्टाफ में एक चर्चा यह है कि जब से रिलीव होने के मामले ने तूल पकड़ा। तब से बाबूजी ने नेताओं और अफसरों के घर के चक्कर लगाने भी शुरु कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक़, सबसे पहले बाबूजी ने एक पूर्व पीए को पकड़कर विधायक जी को फ़ोन कराया। मगर, यहां बात नहीं बनी तो रामपुर अपने विभागीय मंत्री के आवास पर गए और विभागीय अफसरों को फ़ोन कराकर तबादले के बाद रिलीविंग रुकवाने की प्रार्थना की। बीच में यह लखनऊ जाकर अपने विभाग के डायरेक्टर से भी मिलकर आए। इनके विभाग के सूत्र के अनुसार बाबूजी ने इन सबको पैकेट देते हुए यह आश्वासन भी दिया कि किसी तरह से इस बार जिला कृषि अधिकारी के दफ्तर से रिलीव होना रुकवा दीजिए। वह आगे भी सेवा करते रहेंगे।
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डीएओ ऋतुषा भी उर्वरक लाइसेंस घपले में रह चुकी हैं विवादित
बरेली की वर्तमान जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी कुछ साल पहले मुरादाबाद में तैनाती के दौरान उर्वरक लाइसेंस नवीनीकरण के घपले में बहुत विवादित रह चुकी हैं। तब इनके पास कुछ दिनों के लिए वहां डिप्टी डायरेक्टर कृषि का भी चार्ज था। उस समय ऋतुशा तिवारी ने मुरादाबाद में निष्क्रिय पड़ी समितियों के नाम पर उर्वरक लाइसेंस जारी कर दिए थे। मुरादाबाद के तत्कालीन डीएम ने जब इस मामले की जांच कराई तो यह सब आरोप सही पाए गए थे। इस मामले में इस समय इनको प्रशासनिक दखल देने के बाद 18 लाइसेंस निलंबित करने पड़े थे। बाद मे इन्होने ऊपर सेटिंग कर ली। जिससे यह कार्रवाई से बच गई थी। उसके बाद ऋतूषा तिवारी के पीलीभीत में तैनाती के दौरान भी भ्रष्ट्राचार के कई मामले उजागर हुए थे। मगर, कृषि विभाग में नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार के चलते इन्होंने अपने उपर लगे सारे आरोपों की जांच खुद के पक्ष में कराकर रिपोर्ट लगवा ली और पाक-साफ बनकर चार्ज ले लिया।
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