नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। उत्तराखंड ने मानसून की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मानसून के दौरान आपदा जैसी स्थितियों से निपटने के पुख्ता प्रबंध कर रहा है। राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी जनपदों के साथ समीक्षा बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। सचिवालय में हुई बैठक में दोनों मंडलों के आयुक्त और सभी जिलाधिकारियों ने ऑनलाइन भाग किया।
सभी विभागों से अपनी तैयारी पुख्ता करने को कहा
बैठक में मुख्य सचिव ने मानसून अवधि में संभावित आपदाओं का प्रभावी तरीके से सामना करने के लिए सभी विभागों से अपनी-अपनी तैयारियों को पुख्ता करने को कहा है। शेष रह गए कार्यों को मुख्य सचिव ने समय पर उन्हें पूरा कर लेने का निर्देश दिया है।
पूर्व तैयारी के साथ ही त्वरित रिस्पांस टाइम भी जरूरी
आनंद बर्द्धन ने कहा, 'आपदाओं का सामना करने में जहां आपदा पूर्व तैयारी महत्वपूर्ण है, वहीं त्वरित रिस्पांस टाइम भी बेहद जरूरी है। जितना बेहतर हमारा रिस्पांस टाइम होगा, उतना ही प्रभावी तरीके से हम आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्य करने और आम लोगों को राहत पहुंचाने में सफल हो सकेंगे।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में मॉक ड्रिल आयोजित किया जाए
मुख्य सचिव ने आगामी मानसून सत्र के दौरान जलभराव की समस्या तथा अन्य आकस्मिकताओं से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और चंपावत के जलभराव तथा बाढ़ प्रभावित इलाकों में मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
चारधाम यात्रा को देखते हुए 24 घंटे अलर्ट रहना जरूरी
राज्य में चारधाम यात्रा भी चल रही है, ऐसे में सभी रेखीय विभागों का 24 घंटे अलर्ट पर रहना आवश्यक है। मुख्य सचिव ने कहा कि राहत एवं बचाव दल और विभिन्न विभाग यह सुनिश्चित करें कि किसी भी आपदा की स्थिति में उनकी टीम त्वरित गति से मौके पर पहुंचे और बिना समय गंवाए अपने-अपने कार्यों का निष्पादन करें।
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव ने तैयारियों की जानकारी दी
बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने आगामी मानसून सीजन को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग की तैयारियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में विभिन्न रेखीय विभागों के नोडल अधिकारियों की तैनाती हो गई है। राज्य आपदा मोचन निधि और राज्य सेक्टर से पुनर्निर्माण और पुनर्प्राप्ति कार्यों के लिए और राहत एवं बचाव कार्यों के लिए 162 करोड़ रुपये की धनराशि जनपदों को जारी कर दी गई है।
नदियों की डिसिल्टिंग कराना जरूरी
मुख्य सचिव ने कहा कि मानसून अवधि में बाढ़ और जलभराव का एक प्रमुख कारण नदियों में अत्यधिक मात्रा में गाद जमा हो जाना है। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों में नदियों की डिसिल्टिंग कराया जाना जरूरी है। जिलाधिकारियों को वन क्षेत्र में डिसिल्टिंग करने में हो रही कठिनाइयों का शासन के साथ वार्ता कर समाधान निकालने का निर्देश दिया।
आपदा प्रभावितों को शीघ्र दी जाए सहायता
मुख्य सचिव ने कहा कि आपदा के बाद जन सामान्य को राहत पहुंचाना शासन-प्रशासन की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। आपदा प्रभावितों को सहायता जल्द से जल्द उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। आपदा के बाद पुनर्निर्माण कार्यों को त्वरित गति से संचालित करने और क्षति के आकलन के लिए पंचायत स्तर पर सर्वे टीम गठित करने के निर्देश दिए। साथ ही जिलाधिकारियों की मांग पर उन्होंने जनपदों को पर्याप्त एम्बुलेंस उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
धन की कमी नहीं, पर दुरुपयोग न हो
मुख्य सचिव ने कहा कि आपदा संबंधी कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं है। सभी जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि आपदा मद में जो भी धनराशि शासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है, उसका शत-प्रतिशत उपयोग किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित हो कि धन का किसी प्रकार भी दुरुपयोग न हो सके।