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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: राजधानी दिल्ली में यमुना नदी ने एक बार फिर रौद्र रूप धारण कर लिया है। शनिवार को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया, जिससे शहर के निचले इलाकों में बाढ़ और जलभराव का खतरा बढ़ गया है। स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है और निगरानी व्यवस्था को चौकस कर दिया गया है।
पहाड़ी राज्यों में बारिश बनी वजह
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हो रही भारी बारिश के कारण यमुना में जलप्रवाह तेज हो गया है। हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से पानी का भारी मात्रा में छोड़ा जाना भी जलस्तर में वृद्धि की प्रमुख वजह है। पहले जहां हर घंटे औसतन 20,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था, अब यह बढ़कर 40,000 से 65,000 क्यूसेक तक पहुंच गया है। इस मानसून सीजन में पहली बार 8 अगस्त को यमुना का जलस्तर चेतावनी स्तर (204.15 मीटर) को पार कर गया था, जिसके बाद कुछ गिरावट देखने को मिली थी। अब एक बार फिर से तेजी से जलस्तर में वृद्धि हो रही है।
तेजी से बढ़ा जलस्तर
- शुक्रवार सुबह 9 बजे तक यमुना का जलस्तर 204 मीटर से नीचे था।
- शाम 4 बजे यह 204 मीटर के पार चला गया।
- शाम 8 बजे, लोहा पुल के पास जलस्तर 205.25 मीटर तक पहुंच गया।
- शनिवार को यह स्तर खतरे के निशान (205.33 मीटर) को पार कर गया।
सरकार ने बढ़ाई सतर्कता, नियंत्रण केंद्र सक्रिय
दिल्ली सरकार ने हालात पर नियंत्रण के लिए 24 घंटे कार्यरत मुख्य नियंत्रण केंद्र स्थापित किया है, साथ ही 15 अन्य निगरानी केंद्र भी सक्रिय किए गए हैं। प्रशासन ने लोगों को यमुना के किनारे न जाने की सख्त सलाह दी है। दिल्ली में जलभराव की स्थिति न बने, इसके लिए ओखला बैराज से करीब 44,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। निचले इलाकों को खाली कराने की तैयारी शुरू हो चुकी है, जोकि जलस्तर 206 मीटर तक पहुंचने पर अनिवार्य हो जाता है।
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