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A view of E-rickshaw's illegal Charging at north parking at church mission road in New Delhi।
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। रिक्शा चार्जिंग के दौरान आग लगने की बढ़ती घटनाओं ने एक बार फिर इन सवालों को सुलगा दिया है कि परिवहन सेवाओं को लागू करने से पहले प्रशासन हादसों की रोकथाम, नियंत्रण और नियमित करने की दिशा में क्यों कोई कदम नहीं उठा रहा है? इसके पीछे ऐसा घिनौना, लालची और जानलेवा तंत्र विकसित हो चुका है, जिसके लिए मानव जिंदगी की कोई कीमत नहीं बची है। गहरी चिंता है कि पुलिस और प्रशासन इस तंत्र के गठजोड़ का ही हिस्सा है। आइए करते हैं इसकी पड़ताल कैसे नए ई-रिक्शा माफिया ने अपना मकड़जाल फैला रखा है?
अवैध चार्जिंग स्टेशन का जाल
सच्चाई यह है कि ई रिक्शा आज दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर के छोटे-बड़े शहरों में लास्ट मील कनेक्टिविटी (last-mile connectivity)के लिए एक किफायती और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन साधन बन चुके हैं। लेकिन चार्जिंग के दौरान आग लगने और लोगों की मौत की घटनाएं चिंता का बायस हैं। हालांकि, इनके चार्जिंग स्टेशनों से संबंधित सुरक्षा खतरे, विशेष रूप से आग लगने की घटनाएं, गंभीर चिंता का विषय हैं। इस लेख में ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशनों में आग लगने के कारण, उनके खतरों, दिल्ली-एनसीआर में हुए हादसों की संख्या और वहां मौजूद ई-रिक्शा की संख्या पर विस्तार से चर्चा की गई है।
अवैध और असुरक्षित चार्जिंग स्टेशन
दिल्ली-एनसीआर में अधिकांश ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशन अवैध रूप से संचालित होते हैं। ये स्टेशन बिना उचित बिजली कनेक्शन और सुरक्षा मानकों के चलाए जा रहे हैं, जिसके कारण शॉर्ट सर्किट और ओवरलोडिंग की घटनाएं आम हैं। मसलन, कई स्टेशन बिजली चोरी के लिए कम वोल्टेज की मेन लाइनों से तार जोड़कर बिजली लेते हैं, जो असुरक्षित है। इसके पीछे एक खास तरह का तंत्र है। जिसे पुलिस की शह हासिल है। ऑटो मोबाइल उद्योग से जुड़े संजय वत्स कहे हैं कि बैटरी चार्जिंग में खराब उपकरणों की वजह से यह हादसे हो रहे हैं।
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खराब गुणवत्ता वाले उपकरण
संजय वत्स का कहना है कि कई ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशनों में निम्न गुणवत्ता वाली तारें, सॉकेट और चार्जिंग उपकरण उपयोग किए जाते हैं। ये उपकरण बार-बार उपयोग और खराब रखरखाव के कारण क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे बिजली का रिसाव और आग का खतरा बढ़ता है। प्राय: ई-रिक्शा की बैटरी को ओवरचार्ज करना या अनुचित वोल्टेज पर चार्ज करना आग का एक प्रमुख कारण है। लेड-एसिड बैटरी, जो अधिकांश ई-रिक्शा में उपयोग होती हैं, को चार्ज करने में 7-10 घंटे लगते हैं, और अगर चार्जिंग प्रक्रिया की निगरानी न हो, तो बैटरी गर्म होकर आग पकड़ सकती है।
क्या मौसम का प्रभाव पड़ता है
मानसून के दौरान, नमी और पानी के संपर्क में आने से चार्जिंग स्टेशनों में शॉर्ट सर्किट की संभावना बढ़ जाती है। कई स्टेशन खुले या नम स्थानों पर होते हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है। चार्जिंग स्टेशनों का नियमित रखरखाव नहीं किया जाता, जिससे बिजली के तारों और उपकरणों में खराबी बढ़ती है। यह विशेष रूप से छोटे पैमाने के अनौपचारिक स्टेशनों में आम है।
ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशनों के खतरे
शॉर्ट सर्किट और ओवरलोडिंग के कारण आग लगने और बिजली के झटके की घटनाएं आम हैं। हाल ही में शाहदरा में एक इमारत के भूतल पर ई-रिक्शा चार्जिंग के दौरान आग लगने से 6 लोग, जिसमें 2 बच्चे शामिल थे, दम घुटने के कारण अस्पताल में भर्ती हुए। असुरक्षित चार्जिंग स्टेशनों ने कई लोगों की जान ली है। अगस्त 2024 में, शालीमार बाग में एक 7 वर्षीय बच्चे की अवैध चार्जिंग स्टेशन पर बिजली के तार के संपर्क में आने से मृत्यु हो गई।
बिजली कंपनियों को सौ करोड़ से अधिक की चपत
अवैध चार्जिंग स्टेशनों के कारण बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) को प्रतिवर्ष साल 120-150 करोड़ रुपये का नुकसान होता है, क्योंकि ये स्टेशन बिजली चोरी करते हैं। साथ ही आग लगने की घटनाओं से धुआं और जहरीली गैसें निकलती हैं, जो पर्यावरण और आसपास के लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं। चार्जिंग स्टेशनों में आग लगने से ई-रिक्शा जलने की घटनाएं भी सामने आई हैं, इसी साल मार्च 2025 में एक चार्जिंग स्टेशन में आग लगने से 53 ई-रिक्शा जलकर राख हो गए।
दिल्ली-एनसीआर में ई-रिक्शा चार्जिंग के दौरान हादसे
2016: शाहदरा में ई-रिक्शा चार्जिंग के दौरान आग लगने से तीन लोगों की मृत्यु हुई।
2024: अगस्त में शालीमार बाग में एक 7 वर्षीय बच्चे की बिजली के झटके से मृत्यु।
सितंबर 2024 में हर्ष विहार में 30 वर्षीय ड्राइवर की चार्जिंग के दौरान बिजली के झटके से मृत्यु।
2025: शाहदरा में ई-रिक्शा चार्जिंग के दौरान आग लगने से 6 लोग घायल, जिसमें 2 बच्चे शामिल थे।
2025: मार्च में एक चार्जिंग स्टेशन में आग लगने से 53 ई-रिक्शा नष्ट।
दिल्ली-एनसीआर में ई-रिक्शा की संख्या
दिसंबर 2022 तक, दिल्ली में आधिकारिक तौर पर 1,15,000 ई-रिक्शा पंजीकृत थे। जबकि पंजीकृत और गैर-पंजीकृत ई-रिक्शा की कुल संख्या 10 लाख के करीब हो सकती है, जिसमें से 40% गैर-पंजीकृत हैं। 2024 में, दिल्ली में लगभग 1.6 लाख ई-रिक्शा होने का अनुमान है, जिनमें से केवल 50,000 पंजीकृत हैं।
दिल्ली सरकार की नीतियों, जैसे 2020 की इलेक्ट्रिक वाहन नीति, ने ई-रिक्शा की संख्या बढ़ाने में योगदान दिया है, जिसमें 30,000 रुपये की सब्सिडी दी जाती है।
क्या है उपाय, अधिकृत चार्जिंग स्टेशन
दिल्ली सरकार को अधिकृत चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ानी चाहिए। 2022 तक, दिल्ली में 573 चार्जिंग स्टेशन थे, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। चार्जिंग स्टेशनों के लिए उचित तारों, सर्किट ब्रेकर और सर्ज प्रोटेक्टर का उपयोग अनिवार्य करना चाहिए। ड्राइवरों को सुरक्षित चार्जिंग प्रथाओं के बारे में प्रशिक्षित करना चाहिए। बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों को बढ़ावा देना, जैसे कि चार्जअप और ओला द्वारा शुरू किए गए मॉडल, चार्जिंग समय और जोखिम को कम कर सकते हैं।
दिल्ली सरकार की पहल
ई-रिक्शा की पार्किंग को सुव्यवस्थित करने और सड़कों पर भीड़भाड़ से बचने के लिए, उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने अधिकार क्षेत्र में चुनिंदा पार्किंग स्थलों पर बैटरी चालित वाहनों के लिए चार्जिंग पॉइंट स्थापित करने का निर्णय लिया है। एजेंसी ने छह स्थानों को अंतिम रूप दिया है, जहां अगले महीने के अंत तक यह सुविधा विकसित की जाएगी। ई-रिक्शा चालक रात के समय नाममात्र की कीमतों पर अपने वाहनों को चार्ज कर सकेंगे। इन स्थानों में बादली मेट्रो स्टेशन के पास नॉर्थ एमसीडी पार्किंग स्थल, सिंघलपुर गांव (हरियाणा सिंचाई नहर), केला गोदाम के पास रेलवे आरक्षण कार्यालय, केशवपुरम और सेक्टर 11, रोहिणी शामिल हैं।
नॉर्थ एमसीडी के आयुक्त प्रवीण गुप्ता ने कहा, "रात के समय अधिकांश पार्किंग स्थल खाली रहे। इसलिए, एक ठेकेदार को नियुक्त करने का फैसला किया है, जो चयनित पार्किंग स्थलों पर चार्जिंग पॉइंट लगाएगा, ई-रिक्शा से न्यूनतम राशि वसूलेगा और उन्हें यहां अपने वाहन चार्ज करने देगा।" ठेकेदार रात के समय "इन स्थानों पर कानून और व्यवस्था की स्थिति" बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार होगा, जब ई-रिक्शा चार्ज किए जाएंगे।