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नरेंद्र मोदी, Rahul Gandhi और सीजेआई के आपसी टकराव में लगी CBI चीफ की लाटरी

देश का कोई आईपीएस इस लायक नहीं समझा गया कि वो सीबीआई के चीफ की कुर्सी पर बैठ सके। लिहाजा मीटिंग बेनतीजा ही रही लेकिन इस उहापोह का फायदा सीबीआई के मौजूदा चीफ प्रवीन सूद को हुआ।

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Shailendra Gautam
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Rahul vs modi
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सोमवार 4 मई की शाम को प्रधानमंत्री दफ्तर में एक खास ही मंजर दिख रहा था। नरेंद्र मोदी के सामने बैठे थे राहुल गांधी और चीफ जस्टिस आफ इंडिया संजीव खन्ना। तीनों को एक अहम मसले पर सहमति कायम करनी थी और वो था सीबीआई के अगले चीफ का चुनाव। सरकार की तरफ से एक के बाद एक करके सीनियर आईपीएस अफसरों के नाम राहुल गांधी और संजीव खन्ना के सामने रखे जा रहे थे। लेकिन अलग अलग कारणों की वजह से दोनों की तरफ से सारे नाम खारिज कर दिए गए।  politics | Caste Politics India | Indian politics | India Politics | Indian politics news

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प्रवीन सूद को एक साल का सेवा विस्तार देने पर सहमत हुए तीनों सदस्य 

सरकार चाहती थी कि अपनी पसंद के अफसर को सीबीआई का नया प्रमुख बना दे। अलबत्ता राहुल गांधी और सीजेआई उन नामों पर सहमत नहीं हुए। मीटिंग शाम 6.45 बजे शुरू हुई और 7 बजकर 30 मिनट पर खत्म हो गई। कोई आईपीएस इस लायक नहीं समझा गया कि वो सीबीआई के चीफ की कुर्सी पर बैठ सके। लिहाजा मीटिंग बेनतीजा ही रही लेकिन इस उहापोह का फायदा सीबीआई के मौजूदा चीफ प्रवीन सूद को हुआ। किसी का चयन न हो पाना उनकी लाटरी लगने सरीखा रहा। वो एक साल और इस अहम सीट पर बने रहेंगे। सीबीआई चीफ का कार्यकाल दो साल का होता है। 

25 मई को सीबीआई चीफ का कार्यकाल हो रहा है खत्म 

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प्रवीन सूद का दो साल का कार्यकाल 25 मई को खत्म हो रहा है। दिल्ली पुलिस एक्ट के तहत नए सीबीआई चीफ की नियुक्ति का निर्णय एक तीन सदस्यीय कमेटी को करना होता है। इस कमेटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस आफ इंडिया शामिल हैं। कमेटी के सदस्य दो तिहाई बहुमत के साथ जिस नाम पर सहमत हो जाते हैं उसके नाम पर एक तरह से अंतिम मुहर लग जाती है। कमेटी की सिफारिश के बाद सरकार चयनित अफसर का नोटिफिकेशन जारी कर देती है। 

मारीशस सरकार के सलाहकार रह चुके हैं सूद

सूद 1986 बैच के आईपीएस हैं। आईआईटी दिल्ली से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री भी हासिल की है। वो कर्नाटक कैडर से हैं। 25 मई 2023 को वो सीबीआई चीफ बने थे। इससे पहले वो कर्नाटक के डीजीपी के तौर पर काम कर चुके हैं। उनके करियर में अहम मुकाम तब आया जब उनको मारीशस सरकार के सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया था।

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सूद को तेज तर्रार अफसर माना जाता है। हालांकि कांग्रेस कई बार उन पर सरकारी दबाव में आने का आरोप लगाती रही है। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी चाहते थे कि सीबीआई के चीफ के तौर पर किसी और अफसर को नियुक्ति मिले। लेकिन पीएम मोदी ने जो नाम सरकार की तरफ से आगे बढ़ाए वो राहुल गांधी को रास नहीं आए। कुछ नामों पर संजीव खन्ना को आपत्ति थी, जिसके चलते आखिरकार सूद की लाटरी लग ही गई। 

 

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