नई दिल्ली, वीबीएन नेटवर्क।सरकार ने सोमवार को पोप फ्रांसिस के निधन पर उनके सम्मान में तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की। फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल को निधन हो गया। उनके सम्मान में पूरे भारत में तीन दिवसीय राजकीय शोक रखा जाएगा।’
सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा
बयान में कहा गया कि इसके अनुसार, 22 अप्रैल (मंगलवार) और 23 अप्रैल (बुधवार) को दो दिन का राजकीय शोक रहेगा। इसके अलावा, अंतिम संस्कार के दिन एक दिन का राजकीय शोक रहेगा। बयान में कहा गया कि राजकीय शोक की अवधि के दौरान पूरे भारत में उन सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। शोक की अवधि के दौरान मनोरंजन का कोई आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा। international news | International Trade News
कौन होगा अगला पोप
यह अभी निश्चित नहीं है, क्योंकि नए पोप का चुनाव वेटिकन में कार्डिनल्स के कॉन्क्लेव द्वारा गुप्त मतदान के जरिए होता है, जो आमतौर पर पिछले पोप के निधन के 15-20 दिनों बाद शुरू होता है। पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल, 2025 को निधन हो गया, और अब संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा चल रही है। चुनाव प्रक्रिया में कार्डिनल्स दो-तिहाई बहुमत के साथ नए पोप का चयन करते हैं, और यह प्रक्रिया मई 2025 की शुरुआत में शुरू हो सकती है। तब तक, यह केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है कि अगला पोप कौन होगा। कुछ प्रमुख नाम जो सामने आए हैं:
कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन (इटली): वेटिकन के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट, जो पोप फ्रांसिस के करीबी सहयोगी रहे हैं। उनकी कूटनीतिक भूमिका और अनुभव उन्हें मजबूत दावेदार बनाता है।
कार्डिनल मातेओ ज़ुप्पी (इटली): प्रगतिशील विचारों, विशेष रूप से LGBTQ+ समुदाय और सामाजिक न्याय के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैये के लिए जाने जाते हैं। वे पोप फ्रांसिस की नीतियों के समर्थक हैं और शांति प्रयासों में सक्रिय रहे हैं।
कार्डिनल पीटर एर्डो (हंगरी): रूढ़िवादी विचारों के लिए पहचाने जाते हैं, खासकर पुनर्विवाह और तलाक जैसे मुद्दों पर।
कार्डिनल रेमंड लियो बर्क (संयुक्त राज्य अमेरिका): पारंपरिक मूल्यों के समर्थक, जो चर्च को अधिक रूढ़िवादी दिशा में ले जा सकते हैं।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी चर्चा है कि अगला पोप पहली बार अफ्रीकी मूल का हो सकता है, क्योंकि अफ्रीकी कार्डिनल्स को अब तक कम प्रतिनिधित्व मिला है। हालांकि, कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, और कॉन्क्लेव की प्रक्रिया गोपनीय होती है।