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International No Diet Day: आज के आधुनिक और भागदौड़ भरी जिंदगी के दौर में महिला हो या पुरुष दोनों ही अपनी सेहत को लेकर बहुत सजग रहने लगे हैं। अपने आपको फिट रखने के लिए तरह-तरह के डाइट अपनाते हैं ताकि उनके शरीर पर मोटापा ना चढ़ सके, फिगर मेंटेन रहे और शरीर को भरपूर पोषण भी मिले। ऐसे में 06 मई को इंटरनेशनल नो डाइट डे मनाने के पीछे क्या उद्देश्य हो सकता है, ये प्रश्न दिमाग में जरूर उठता होगा। ऐसे में आज आपको इसके बारे में बताएंगे, आखिर डाइट को इस दिन मना करने की जरूरत क्यों पड़ी। तो चलिए जानते हैं बिना किसी
इंटरनेशनल नो डाइट डे का इतिहास
इंटरनेशनल नो डाइट डे की शुरुआत 1992 में यूनाइटेड किंगडम में ब्रिटिश नारीवादी मैरी इवांस यंग (Mary Evans Young) द्वारा की गई थी। मैरी ने अपने निजी अनुभवों, विशेष रूप से एनोरेक्सिया (anorexia) और शरीर की छवि (body image) से जुड़ी समस्याओं से प्रेरित होकर इस आंदोलन की नींव रखी। स्कूल में मोटापे के कारण उनकी खिल्ली उड़ाई गई थी, और बाद में उन्होंने कई ऐसी महिलाओं से बात की, जिन्हें समान अनुभवों का सामना करना पड़ा था। इन अनुभवों ने उन्हें "डाइट ब्रेकर्स" (Diet Breakers) नामक संगठन शुरू करने के लिए प्रेरित किया। Health Care | health crisis news | health initiative India | health issues | health is wealth
पहला नो डाइट डे 5 मई, 1992 मनाया गया
पहला नो डाइट डे 5 मई, 1992 को लंदन के हाइड पार्क में एक छोटे से पिकनिक के रूप में मनाया गया, जिसमें 12 महिलाओं ने हिस्सा लिया। इन महिलाओं ने "Ditch That Diet" (उस डाइट को छोड़ दो) लिखे स्टिकर पहने थे। बारिश के कारण यह पिकनिक मैरी के घर पर आयोजित हुई। शुरुआत में यह आयोजन केवल यूके तक सीमित था, लेकिन जल्द ही इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली।
अमेरिका के कुछ राज्यों, जैसे कैलिफोर्निया, टेक्सास, न्यू मैक्सिको और एरिजोना में सिन्को डे मेयो (Cinco de Mayo) उत्सव के साथ तारीख के टकराव के कारण, 1993 में इसकी तारीख बदलकर 6 मई कर दी गई। आज यह दिन नेशनल ईटिंग डिसऑर्डर्स एसोसिएशन (NEDA) जैसे संगठनों द्वारा समर्थित सोशल मीडिया अभियान के रूप में मनाया जाता है, जिसमें #NoDietDay हैशटैग के साथ जागरूकता फैलाई जाती है।
हानिकारक मानदंडों को चुनौती देता है
इंटरनेशनल नो डाइट डे का महत्व इसकी उस विचारधारा में निहित है जो समाज द्वारा थोपी गई एक विशेष "आदर्श" शरीर के मिथक को तोड़ती है। आज के समय में, पत्रिकाओं में फोटोशॉप की गई तस्वीरें, सोशल मीडिया पर अवास्तविक सौंदर्य मानक, और डाइट उद्योग का दबाव युवाओं में खाने के विकारों (eating disorders) और कम आत्मसम्मान (low self-esteem) को बढ़ावा दे रहा है। यह दिन इन हानिकारक मानदंडों को चुनौती देता है और लोगों को अपने शरीर को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
भेदभाव और मोटापे के प्रति डर
यह दिन वजन आधारित भेदभाव और मोटापे के प्रति डर (fatphobia) के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उन लोगों को सम्मान देता है जो खाने के विकारों और वजन कम करने की सर्जरी से प्रभावित हुए हैं। यह दिन समाज को यह याद दिलाता है कि स्वास्थ्य का मतलब केवल पतला होना नहीं है, बल्कि मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखना है। इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के अनुसार, अधिकांश वजन कम करने वाले कार्यक्रमों में लोग 5 साल के भीतर खोया हुआ वजन वापस पा लेते हैं, जिससे "यो-यो डाइटिंग" (yoyo dieting) की समस्या बढ़ती है। यह दिन इन असफल डाइटिंग प्रथाओं की वास्तविकता को उजागर करता है।
इंटरनेशनल नो डाइट डे के प्रमुख उद्देश्य
शारीरिक स्वीकृति को बढ़ावा देना: लोगों को अपने शरीर को सभी आकारों और रूपों में स्वीकार करने के लिए प्रेरित करना। डाइट संस्कृति को चुनौती देना: अस्वास्थ्यकर और अवास्तविक डाइटिंग प्रथाओं के खिलाफ जागरूकता फैलाना, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं। वजन भेदभाव को समाप्त करना: मोटापे के प्रति डर और वजन आधारित भेदभाव को कम करने के लिए समाज को शिक्षित करना।
स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहन:
कैलोरी गिनने के बजाय सहज भोजन (intuitive eating) और नियमित व्यायाम के माध्यम से संतुलित जीवनशैली को बढ़ावा देना।
खाने के विकारों के प्रति जागरूकता:
एनोरेक्सिया, बुलिमिया जैसे विकारों के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना।
आत्म-प्रेम को प्रेरित करना:
लोगों को अपने शरीर और व्यक्तित्व के प्रति आत्मविश्वास और प्रेम विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
इंटरनेशनल नो डाइट डे पर इससे जुड़ी गतिविधियां, कार्यक्रम, बॉडी पॉजिटिविटी वर्कशॉप, सेल्फ-केयर एक्टिविटीज और सोशल मीडिया कैंपेन शामिल हैं, जो बॉडी एक्सेप्टेंस और सेल्फ-लव को बढ़ावा देने का काम करते हैं। इस दिन अपने डाइट को छोड़कर पसंदीदा चीजों को खाने की पूरी छूट दी जाती है। जो लोग बहुत स्ट्रिक्ट डाइट फॉलो करते हैं, उन्हें इस दिन डाइट के बंधन से मुक्त होकर खुलकर खाने की आजादी मिलती है।