नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। सुप्रीम कोर्ट (supreme court ) ने मंगलवार को 2002 के गोधरा ट्रेन कांड से जुड़े कुछ दोषियों की याचिका को खारिज कर दिया। आरोपियों ने दलील दी थी कि उनकी अपील पर सिर्फ तीन जजों की पीठ ही सुनवाई कर सकती है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि कानून और पुराने फैसलों के मुताबिक दो जजों की पीठ को इस अपील पर सुनवाई करने से कोई रोक नहीं है। इसलिए दोषियों की यह दलील खारिज कर दी गई और अब मामले की अंतिम सुनवाई शुरू हो गई है।
क्या है पूरा मामला?
दोषियों की ओर से पेश वकील संजय हेगड़े ने कहा कि जब किसी मामले में मौत की सजा का सवाल हो, तो उस पर तीन जजों की पीठ को सुनवाई करनी चाहिए, जैसा कि लाल किला आतंकवादी हमले के केस में हुआ था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार ने साफ किया कि यह नियम तब लागू होता है जब हाईकोर्ट ने मौत की सजा को बरकरार रखा हो। गोधरा मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था, इसलिए इस अपील पर दो जजों की पीठ भी सुनवाई कर सकती है।
मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला
गुजरात हाईकोर्ट ने 2017 में अपने फैसले में कुछ दोषियों की सजा बरकरार रखी थी और 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने इस बदलाव के खिलाफ अपील की है, जबकि कई दोषियों ने भी अपनी सजा के खिलाफ याचिका दायर की है।
गोधरा ट्रेन अग्निकांड
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को कहा था कि वह छह और सात मई को इस मामले में गुजरात सरकार और दोषियों की अपीलों पर सुनवाई करेगा। गोधरा अग्निकांड की घटना 27 फरवरी 2002 को हुई थी, जब गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे।