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चीफ जस्टिस बीआर गवई|
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।सुप्रीम कोर्ट ने हाई प्रोफाइल मामले में उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सात बार के सांसद मोहन डेलकर को 2021 में आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में दादरा नगर हवेली और दमन दीव के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल सहित नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी बहाल करने का अनुरोध किया गया था। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने पटेल सहित नौ लोगों के खिलाफ मामला रद्द करने संबंधी आठ सितंबर, 2022 के मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपील खारिज कर दी।
कोर्ट ने माना, आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई संकेत नहीं
यह अपील दिवंगत सांसद के बेटे अभिनव डेलकर ने दायर की थी। पीठ ने कहा कि इस मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई संकेत नहीं पाया गया। पीठ ने कहा, ‘हमें आत्महत्या से पहले लिखा गया पत्र (सुसाइड नोट) संदिग्ध प्रतीत होता है और हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि इस मामले में आत्महत्या के लिए उकसावे का कोई भी ठोस आधार है। उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द करते समय कोई गलती नहीं की, क्योंकि प्रथम सूचना विवरण (एफआईएस) से कोई मामला बनता ही नहीं है।’न्यायमूर्ति चंद्रन ने पीठ के लिए फैसला लिखा।
स्युसाइड नोट संदेहास्पद, कोर्ट
उन्होंने अपने फैसले में हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, ‘यह सच है कि कोई व्यक्ति जब दबाव नहीं सह पाता, अपमान नहीं झेल पाता, या विरोध नहीं कर पाता, तो वह निराशा में अपनी जान दे सकता है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं होता कि आरोपी व्यक्ति की मंशा उसे आत्महत्या के लिए उकसाने की थी।’ पीठ ने यह भी कहा, "आत्महत्या से पहले लिखे गये पत्र पर संदेह उत्पन्न होता है, विशेष रूप से उस समिति की कार्यवाही में दर्ज बयानों और उस पत्र को इस मामले में पेश किए जाने के तरीके को देखते हुए।’फैसले में यह भी उल्लेख किया गया है कि आत्महत्या से पहले लिखे गये पत्र में जिन अधिकारियों के नाम का उल्लेख किया गया है, उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।
सांसद के बेटे के बयान सुनी-सुनाई बातों पर
निर्णय में कहा गया कि मृत सांसद के बेटे और अन्य सहयोगियों द्वारा दिए गए बयान केवल सुनी-सुनाई बातों पर आधारित हैं, इसलिए उन्हें शिकायत का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता, साथ ही, मृतक द्वारा आत्महत्या से पहले लिखे गये पत्र में कही गई बातें भी उकसावे का मामला नहीं बनातीं। पीठ ने अभिनव की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा, राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कुछ आरोपियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी की दलीलें सुनने के बाद चार अगस्त को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
दादरा और नगर हवेली से डेलकर सात बार सांसद रहे थे
दादरा और नगर हवेली से सात बार सांसद रहे डेलकर की मृत्यु के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वह 2021 में मुंबई के एक होटल में मृत पाए गए थे। उनके कथित ‘सुसाइड नोट’ में उत्पीड़न और धमकी का विस्तार से विवरण था, जिसके बाद शीर्ष नौकरशाहों और राजनीतिक हस्तियों सहित कई लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने इस बात पर विचार किया था कि क्या रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री जिसमें 30-पृष्ठ का कथित ‘सुसाइड नोट’ भी शामिल है, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत आरोपों को बनाए रखने के योग्य है।
क्या उनके पास सोचने का वक्त था
प्रधान न्यायाधीश ने पूछा था, ‘क्या उनके पास सोचने और 30 पन्नों का सुसाइड नोट लिखने का समय था। क्या हम कह सकते हैं कि यह (आत्महत्या) क्षणिक आवेग में हुई थी?’’ उन्होंने कहा कि तनाव या उत्पीड़न के प्रति व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएं भिन्न हो सकती हैं। उच्च न्यायालय ने आठ सितंबर, 2022 को आरोपियों के खिलाफ ‘‘कानून के दुरुपयोग को रोकने’’ के वास्ते प्राथमिकी को रद्द करने के लिए इसे उपयुक्त मामला माना। इसने यह भी कहा था कि प्राथमिकी की सामग्री और घटना का संदर्भ यह बताने के लिए नाकाफी है कि आरोपियों ने डेलकर को आत्महत्या के लिए उकसाया।
क्या था मामला
डेलकर (58) दक्षिण मुंबई के मरीन ड्राइव स्थित एक होटल के कमरे में 22 फरवरी, 2021 को मृत पाए गए थे। मार्च 2021 में डेलकर के बेटे अभिनव द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पटेल और आठ अन्य लोगों पर मुंबई पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप में मामला दर्ज किया था। आरोप लगाया गया था कि आरोपियों के उत्पीड़न के कारण सांसद ने आत्महत्या की, क्योंकि आरोपी उनके द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों पर नियंत्रण करना चाहते थे और उन्हें चुनाव लड़ने से रोकना चाहते थे। आरोपियों ने पिछले साल प्राथमिकी रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था और दलील दी थी कि मामले में उन्हें फंसाया जा रहा है। Supreme Court Debate | Supreme Court comment | Supreme Court hearing | Daman Diu administrator news