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नई दिल्ली, वाशिंगटन, वाईबीएन डेस्क। अमेरिका का 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ बुधवार से लागू हो गय है। इस तरह भारत से आयातित वस्तुओं पर अब कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। इससे कपड़ा, रत्न, आभूषण, झींगा, कालीन और फर्नीचर जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में निर्यात में 70% तक की गिरावट आ सकती है। जिसका सबसे ज्यादा असर रोजगार पर पडेगा। अतिरिक्त टैरिफ रूस से तेल खरीदने की वजह से लगाए गए हैं। भारत इस स्थिति से निपटने के लिए रणनीति पर काम कर रहा है।
निर्यात में 70% तक की गिरावट की आशंका
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ से 60.2 अरब डॉलर मूल्य के भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा। कपड़ा, रत्न, आभूषण, झींगा, कालीन और फर्नीचर जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में निर्यात में 70% तक की गिरावट आ सकती है, जिससे लाखों श्रमिक प्रभावित होंगे।
यह शुल्क भारत के अमेरिका को होने वाले लगभग 66% निर्यात पर असर डालेंगे।जो वर्ष 2025 में लगभग 86.5 अरब डॉलर होगा। यदि टैरिफ लागू रहे, तो अगले वर्ष निर्यात घटकर 49.6 अरब डॉलर रह सकता है, और चीन, वियतनाम और मेक्सिको जैसे प्रतिस्पर्धी अमेरिकी बाजार में इस अंतर का फायदा उठा सकते हैं।
भारत किसी दबाव में आना वाला नहीं
ट्रंप प्रशासन टैरिफ लागू किए जाने पर अड़ा हुआ है, और अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार, इन उच्च शुल्कों का उद्देश्य रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के साथ बातचीत के लिए दबाव डालना है। अमेरिका का मानना है कि भारत, रूस से तेल की खरीद यदि बंद कर देता है, तो उससे रूस पर दबाव आएगा, और पुतिन यूक्रेन से बातचीत के लिए सहमत हो सकते हैं। लेकिन भारत काफी पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि रूस पुराना दोस्त है और तेल की खरीद भारत की ईंधन संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखकर की जा रही है।
जानें अतिरिक्त टैरिफ का क्या पड़ेगा असर
न्य़ूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, निर्यातक समूहों का अनुमान है कि शुल्क वृद्धि से भारत के अमेरिका को लगभग 55 प्रतिशत व्यापारिक निर्यात प्रभावित हो सकता है, जिसका मूल्य लगभग 87 अरब डॉलर है, और इससे बांग्लादेश, चीन और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों को बढ़त मिलेगी। कपड़ा और परिधान, रत्न एवं आभूषण, झींगा निर्यात और चमड़ा उत्पाद सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। जबकि मूडीज़ एनालिटिक्स के एक विश्लेषण में चेतावनी दी गई है कि भारतीय वस्तुओं पर नए अमेरिकी शुल्कों से निर्यात की मांग में भारी कमी आएगी।
बिक्री में गिरावट से नुकसान होगा
रिपोर्ट में कहा गया है, "उनके सबसे बड़े ग्राहक को बिक्री में गिरावट से नुकसान होगा।" रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टैरिफ ने यूरोप और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को "झटका" महसूस होगा, क्योंकि अमेरिका उनका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। मूडीज़ ने आगे कहा कि कुछ कंपनियां बिक्री की मात्रा बनाए रखने के लिए कीमतों में कटौती कर सकती हैं, लेकिन ऐसा करने से मार्जिन कम हो सकता है, वेतन वृद्धि सीमित हो सकती है और निवेश कम हो सकता है, जिससे समग्र व्यावसायिक प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।
दवा, स्मार्टफोन पर नहीं पड़ेगा असर
विश्लेषकों का कहना है कि दवा, स्मार्टफोन और स्टील क्षेत्र अमेरिकी टैरिफ से अपेक्षाकृत अछूते रहने की उम्मीद है। टैरिफ संरचना में छूट और भारत में मजबूत घरेलू मांग इन क्षेत्रों को आर्थिक झटके का कुछ हिस्सा झेलने में मदद कर सकती है। टैरिफ में वृद्धि व्यापक रणनीतिक संबंधों को प्रभावित कर सकती है। अमेरिका लंबे समय से क्वाड जैसी पहलों के माध्यम से भारत को करीब लाने का लक्ष्य रखता रहा है - ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ एक सुरक्षा समूह जो चीन का मुकाबला करने के लिए बनाया गया है। इस साल की शुरुआत में, भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने क्वाड के रक्षा और सुरक्षा फोकस को मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की थी। टैरिफ तनाव अब इन प्रयासों को खतरे में डाल रहा है।
भारत का कड़ा रूख
अहमदाबाद में कई परियोजनाओं अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना सख्त रूख जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत किसानों, छोटे उद्योगों और घरेलू उत्पादकों के हितों से समझौता नहीं करेगा। उन्होंने नागरिकों और व्यवसायों से स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देने का आग्रह करते हुए कहा, "हम पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन हम इसे सहन करेंगे।" प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार वाशिंगटन के आर्थिक दबाव की परवाह किए बिना कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेगी। Donald Trump Claims | Donald Trump India Policy | Donald Trump India tax | donald trump news | donald trump on india | donald trump on india tariffs | donald trump on tariff