नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: मध्य पूर्व में ईरान और
इजरायल के बीच लगातार बढ़ते तनाव ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। इस संघर्ष ने न केवल कूटनीतिक और सुरक्षा समीकरणों को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर असर डाला है। खासतौर पर ऊर्जा क्षेत्र में इसका सीधा प्रभाव देखने को मिल रहा है, जहां कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल
ईरान-इजरायल के बीच बढ़ते टकराव की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से ऊपर जा रही हैं। ब्रेंट
क्रूड ऑयल 75 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच चुका है, जबकि WTI क्रूड का जुलाई वायदा भाव 73.99 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया है। तेल उत्पादन और आपूर्ति को लेकर बढ़ती अनिश्चितता ने वैश्विक बाजारों में हलचल पैदा कर दी है, जिसका असर हर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। इस वैश्विक संकट का पहला शिकार बना पाकिस्तान, जो पहले से ही गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया कमजोर है, विदेशी मुद्रा भंडार बेहद सीमित है और महंगाई दर लगातार रिकॉर्ड स्तर छू रही है। ऐसे हालात में कच्चे तेल की महंगाई ने देश की सरकार को मजबूर कर दिया कि वह घरेलू पेट्रोलियम कीमतों में भारी बढ़ोतरी करे।
पाकिस्तानी सरकार का फैसला
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने रविवार देर रात पेट्रोल और हाई-स्पीड डीजल (HSD) की कीमतों में वृद्धि की घोषणा की।
पेट्रोल की कीमत में 4.80 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया गया है, जिससे इसकी नई कीमत 258.43 रुपये प्रति लीटर हो गई है।
हाई-स्पीड डीजल में 7.95 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई है, जिससे यह अब 262.59 रुपये प्रति लीटर बिकेगा।
यह बढ़ोतरी 16 जून 2025 से प्रभावी हो चुकी है। सरकार ने यह निर्णय तेल और गैस नियामक प्राधिकरण (OGRA) तथा संबंधित मंत्रालयों की सिफारिशों के आधार पर लिया है। यह भी कहा गया है कि यह मूल्य "एडजस्टमेंट" के तहत हैं, जिन्हें 15 दिन बाद दोबारा समीक्षा कर बदला जा सकता है।
जनता में नाराजगी और चिंता
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में यह इजाफा ऐसे समय में हुआ है जब आम पाकिस्तानी नागरिक पहले ही महंगाई, बेरोजगारी और भारी टैक्स दबाव से परेशान है। ट्रांसपोर्ट से लेकर रोजमर्रा की वस्तुओं तक हर चीज की कीमतें अब और बढ़ेंगी। पाकिस्तान में पहले से ही बिजली दरें ऊंची हैं, गैस संकट है और खाद्य पदार्थों की उपलब्धता पर भी सवाल उठ रहे हैं। पेट्रोल महंगा होने का मतलब है कि परिवहन लागत बढ़ेगी, जिससे फल, सब्जियां, दूध, दवाइयां और बाकी सभी आवश्यक वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। इसके चलते गरीब और मध्यम वर्ग पर सीधा आर्थिक बोझ पड़ेगा।
क्या आने वाले दिन और मुश्किल होंगे?
अगर ईरान-इजरायल संघर्ष और बढ़ता है, तो इसकी सीधी चोट तेल आपूर्ति पर पड़ेगी। मध्य पूर्व दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। किसी भी सैन्य कार्रवाई या प्रतिबंध का असर तेल के उत्पादन और ट्रांसपोर्टेशन पर पड़ेगा, जिससे कीमतें और चढ़ सकती हैं। पाकिस्तान जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए यह स्थिति और गंभीर हो सकती है, जहां पहले से ही IMF की शर्तों के चलते टैक्स और सब्सिडी को सीमित किया जा रहा है। pakistan | Iran Israel conflict 2025