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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
बरेली, वाईबीएन संवाददाता। बरेली का प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है। लाइव एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) शुक्रवार को सुबह 50 से शुरू होकर 150 तक पहुंच चुका है। सामान्य से गंभीर स्थिति में आ गया है। यह लगातार खतरनाक स्थिति की ओर बढ़ रहा है। आसमान में भी धुएं जैसी परत दिखाई दी थी। हालांकि जिला प्रशासन भी इस ओर से गंभीर है। जिलाधिकरी अविनाश सिंह ने बैठक करके अधिकारियों को सचेत किया है।
बरेली के प्रदूषण यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) की बिगड़ती स्थिति के पीछे पराली जलाने के अलावा भी बहुत से कारण हो सकते हैं। सीबीगंज में आईटीआर के पास एक फैक्ट्री की चिमनी दिन रात काला धुआं फैंक रही है। लेकिन प्रदूषण नियंत्रण विभाग को शायद दिखाई नहीं दे रही है। यही नहीं कई ऐसी फैक्ट्रियां हैं जोकि लगातार काला और जहरीला धुआं फेंक रही हैं। सीबीगंज और इज्जतनगर क्षेत्र में कई भट्टों की चिमनियों से भी काला और जहरीला धुआं निकल रहा है। यही वजह है कि इन दिनों में यह जहरीला धुआं वायु गुणवत्ता को खराब कर रहा है। बरेली में कई स्थानों पर नगर निगम के कूड़ा घरों में कूड़ा जलने से धुआं उठ रहा है। लेकिन कोई अधिकारी इस तरफ देखने वाला नहीं हैं। अगर त्वरित इस स्थिति पर नियंत्रण नहीं किया गया तो एक्यूआई के खतरनाक स्थिति में पहुंचने की पूरी संभावना है।
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जिलाधिकारी ने पराली एवं कृषि अपशिष्ट जलाने की रोकथाम के लिए गठित की समिति, किसानों को वैकल्पिक उपाय के निर्देश
बरेली, संवाददाता। जिलाधिकारी अविनाश सिंह की अध्यक्षता में विगत दिवस देर शाम पराली एवं कृषि अपशिष्ट जलाने की रोकथाम हेतु गठित समिति की बैठक कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में जिलाधिकारी ने पराली जलाने की रोकथाम से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर गहन समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि किसी भी दशा में पराली जलाने की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
जिलाधिकारी ने कहा कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बैठक में कृषि विभाग को विशेष रूप से निर्देश दिए गए कि किसानों को पराली जलाने के बजाय वैकल्पिक उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए और डिम्पोजर आदि किसानों को उपलब्ध कराए जाये। समस्त उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे सुनिश्चित कराएं कि पराली जलाने की कोई भी घटना घटित ना हो, क्यूंकि सेटेलाइट के माध्यम से भी इसका निरिक्षण होता है और सेटेलाइट द्वारा यदि घटना को रिकार्ड किया गया तो कार्यवाही निश्चित होगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि जनजागरूकता के माध्यम से किसानों को यह समझाना आवश्यक है कि पराली जलाना समाधान नहीं बल्कि समस्या को बढ़ाने वाला कदम है। इसके लिए गांवों में चौपाल, प्रचार वाहन, पोस्टर-बैनर और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी विभाग आपसी समन्वय के साथ प्रभावी कार्यवाही करें ताकि जनपद को पराली जलाने की समस्या से मुक्त किया जा सके। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी देवयानी, अपर जिलाधिकारी प्रशासन पूर्णिमा सिंह, जिला कृषि अधिकारी, समस्त उप जिलाधिकारी सहित सम्बंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।
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