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Rampur News: ग्रंथों के अध्ययन के बाद मिली दीपावली के पूजन की सही जानकारी

ज्योतिषाचार्य भाग्यराज ने कहा- दीपवाली पूजन 20 को ही है। गोवर्धन पूजा 22 तो भाई दूज का सही मुहूर्त 23 अक्टूबर को होगा। इसी क्रम यह पंच दिवसीय त्योहार मनाना शुभ है। 

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Akhilesh Sharma
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ज्योतिषाचार्य भाग्यराज गुप्त। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

रामपुर/बरेली, वाईबीएन संवाददाता। इस साल कार्तिक अमावस्या 2 दिन होने से दीपवाली की तारीख को लेकर लोगों में बहुत कन्फ्यूजन है। कोई 20 तो कोई 21 अक्टूबर को दीपवाली बता रहा है। आइए आज आपको दीपवाली की सही तारीख और शुभ मुहूर्त बताते हैं।

दीपावली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनायी जाती है। दीपवाली के शुभ अवसर पर लोग माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, राम दरबार और कुबेर देवता की पूजा करते हैं और रात में अपने घरों में दीपक जलाते हैं। ऐसी मान्यता है जो कोई दिपावली के दिन शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करता है उसके घर में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है। दिपावली को कालरात्रि भी कहा जाता है। जो तंत्र साधना और उपाय सिद्ध करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। वहीं ज्योतिषाचार्य भाग्यराज गुप्त (Astro Bhagyaraj Gupt) ने बताया इस दिन बृहस्पति गृह के अपनी उच्च राशि कर्क में गोचर करने से हंस महापुरुष राजयोग का निर्माण हो रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है, हालांकि इस बार दीपावली की तारीख को लेकर लोगों में बड़ा कन्फ्यूजन है, कोई 20 तो कोई 21 अक्टूबर को दिवाली बता रहा है। ज्योतिषविदों की मानें तो हिंदू पंचांग की गणना और सूर्यास्त के समय में सूक्ष्म अंतर के कारण यह कन्फ्यूजन पैदा हुआ है। आइए जानते हैं कि दिवाली का त्योहार कब मनाया जाएगा। 

भ्रम दूर करके ही करें मां लक्ष्मी पूजन

साल 2025 में दीपवाली की तिथि को लेकर कुछ लोगों में भ्रम है, लेकिन पंचांग के अनुसार, दीपावली की सही तारीख 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) दी गई है। वहीं आपको बता दें कि 20 अक्टूबर को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या का आरंभ होगा, जो कि शाम 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी। यदि सायं काल में प्रतिपदा तिथि आरंभ होती है तो उस बीच पंचदिवसीय दीपावली पर्व नहीं मानाना चाहिए। यानी प्रतिपदा में दीपावली का कोई महत्व नहीं होता है। इसलिए 20 अक्टूबर को ही दिवाली मनाना शुभ रहेगा। वहीं अगर प्रदोष काल के अनुसार देखा जाए तो इस बार 20 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना सही रहेगा। क्योंकि 20 अक्टूबर को प्रदोष काल मिल रहा है। इस तिथि पर लोग शाम के समय लक्ष्मी गणेश का पूजन कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य भाग्यराज गुप्त ने ये भी बताया कि जिन जगहों पर सूर्य अस्त सायं 05:30 से पहले होगा उन जगहों पर दिवाली 21/10/2025 को मनाई जा सकती है, लेकिन जिन जगहों पर सूर्य अस्त 05:30 के बाद होगा ऐसी जगहों पर दीपवाली का त्योहार करना चाहिए।  

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे का समय प्रदोष काल कहलाता है। यह समय दिन और रात के संधि काल के समान होता है। माना जाता है कि इस समय वातावरण में दिव्य ऊर्जा का प्रवाह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस काल में की गई पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए पूजा स्थिर लग्न और प्रदोष काल में करना सबसे शुभ माना जाता है।  

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पूजन का समय

प्रदोष काल मुहूर्त (मुख्य) - शाम 07:08 PM से 08:18 PM तक 1 घंटा 10 मिनट 

प्रदोष काल - शाम 05:46 PM से 08:18 PM तक

वृषभ काल (स्थिर लग्न) - शाम 07:08 PM से 09:03 PM तक

निशिता काल मुहूर्त रात 11:41 PM से 12:31 AM (21 अक्टूबर) 

पूजन सामग्री

पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा और कलावा अवश्य रखें।

भगवानों के वस्त्र और शहद शामिल करें।

गंगाजल, फूल, फूल माला, सिंदूर और पंचामृत

बताशे, इत्र, चौकी और लाल वस्त्र के साथ कलश 

शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का।

कमल का फूल और हवन कुंड।

हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद

रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान।

इस दौरान सुपारी, नारियल और मिट्टी के दीए संग रुई भी शामिल करें। 

इन सभी सामग्रियों को एकट्ठा करने के बाद आप मां लक्ष्मी और गणेश जी पूजा कर घर में सुख सौभाग्य प्राप्त कर सकते है।

गोवर्धन पूजाः दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर वृन्दावन वासियों की रक्षा की थी। लोग अन्नकूट बनाकर गोवर्धन की पूजा करते हैं। इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को है। गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

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-कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत- 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर

-कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का समापन- 22 अक्टूबर को रात 08 बजकर 16 मिनट पर

-गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 26 मिनट से सुबह 08 बजकर 42 मिनट तक

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-गोवर्धन पूजा सायाह्न काल मुहूर्त - दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से शाम 05 बजकर 44 मिनट तक

भाई दूजः पांचदिवसीय त्योहार का आखिरी दिन भाई दूज है। इस दिन भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का पर्व है। बहनें भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं, जबकि भाई बहनों को उपहार देते हैं। भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

-कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत- 22 अक्टूबर को रात 08 बजकर 16 मिनट पर

-कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का समापन- 23 अक्टूबर को रात 10 बजकर 46 मिनट पर

-भाई दूज अपराह्न समय - दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक

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