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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। आठ साल पहले शहरवासियों को बरेली को सिंगापुर की तरह स्मार्ट बनाने का सपना दिखाया गया था। फिलहाल आठ साल बीतने के बाद भी शहर तो आज भी जहां था, वहीं पर खड़ा है। लेकिन सरकारी बजट में हजारों करोड़ रुपए का चूना लगाकर चंद बड़े नेता, अफसर और ठेकेदार सिंगापुर या अन्य देशों की हवाई यात्रा करके अपने फ़ोटो सोशल मीडिया पर डालने के बाद जनता को जरुर चिढ़ा रहे हैं। नगर निगम में पूरी तरह से कॉरपोरेट कल्चर हावी है। संविधानिक पद पर आसीन नेताओं और अफसरों के पास सामान्य जनता के लिए न तो मिलने का समय है, न ही सीयूजी नंबर पर कॉल उठाने का। हां, कोई ठेकेदार अगर एकांत में मिलना चाहे तो उसके लिए ऑफ़िस और आवास के दरवाजे 24 घंटे भी खुले हैं।
अफसर और ठेकेदारों के बीच में मोटे कमीशन का खेल।
केंद्र सरकार ने देश के चुनिंदा शहरों को स्मार्ट बनने के लिए रेटिंग के आधार पर उनको चयनित किया है, इनमें बरेली शहर भी शामिल है। मगर, बरेली नगर निगम के अंदर शहर को स्मार्ट बनने के बजाय नेता, अफसर और ठेकेदारों के बीच में मोटे कमीशन का खेल चल रहा है। इसको हाल में एक उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है। केंद्र सरकार की Ncap योजना में 13 करोड़ रुपए से अधिक कीमत के छह कामों के अल्पकालीन अवधि के लिए टेंडर साल 2024 में नगर निगम ने निकाले थे। चूंकि ncap के काम जल्दी होने थे। इसलिए टेंडर दीर्घकालीन न निकालकर अल्पकालीन निविदा सूचना के तहत वेबसाइट पर अपलोड किए गए थे।
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नगर निगम और स्मार्ट सिटी के कामों में घपले घोटालों ने पार की सारी हदें
सूत्रों के अनुसार नगर निगम में संवैधानिक पद पर विराजमान एक बड़े नेता के चहेते ठेकेदार को टेंडर देने के लिए तीन बार इनको कैंसिल किया गया। आखरी बार यह टेंडर 28 नवंबर 2024 को फिर से निकाले गए। अब इन टेंडरों को पूल करने का खेल किया गया। इसके तहत टेंडरों को एक ही ठेकेदार ने अपनी ही अलग अलग फर्मों के नाम से डालकर पूल कर लिया। इसके लिए टेक्निकल बिड खुलने के बाद फाइनेंशियल बिड की फाइल दो महीने तक एक टेबल से दूसरी टेबल पर रोकी गई। चंद खास थेकेदारो के अलावा बाहर के ठेकेदारों ने भी इसमें टेंडर डाले। मगर, टेंडर खास ठेकेदार को ही देने हैं।
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खास ठेकेदार को टेंडर दिलाकर खुद लेना चाहते हैं पूरा कमीशन
इसके लिए फाइनेंशियल बिड खोलने में नगर निगम के इंजीनियरों की ओर से जानबूझकर देरी की गई। इसके चलते न केवल स्मार्ट सिटी का काम लेट हो रहा है बल्कि शहर वासियों को सड़क और पटरी निर्माण न होने से धूल उड़ने की भी दिक्कत भी झेलनी पड़ रही है। नगर निगम के इंजीनियर स्मार्ट सिटी के कामों में अपने कमीशन का हिसाब देख रहे हैं, वहीं नेताजी अपने खास ठेकेदार को टेंडर दिलाकर पूरा कमीशन खुद लेना चाहते हैं। नगर निगम में दोनो के बीच इसी की रस्साकसी महीनों से चल रही है।
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मालामाल हो चुके हैं नेता, अफसर और इंजीनियर
इसके लिए ठेकेदारों, अफसरों और नेताजी के बीच गोपनीय मीटिंग का दौर लगातार जारी है। मोटे कमीशन के इस खेल में नेता अफसर और इंजीनियर तो मालामाल हैं लेकिन तकलीफ शहर की उस आम जनता को उठानी पड़ रही है, जिसने स्मार्ट सिटी के नाम पर अब तक गड्ढायुक्त और टूटी-फूटी सड़कें, कूड़े के ढेर, बरसात में जलभराव और हवा चलने या गाडियां दौड़ने पर सिर्फ उड़ती धूल के गुबार ही देखे हैं।
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ये हैं ncap के टेंडर की डिटेल
1/ छोटी बिहार से विभिन्न स्थानों से होते हुए 100 फुटा रोड तक 6 करोड़ 12 लाख 23 हजार रुपए
2/ तुलाशेरपुर से बजरंग ढाबा के दोनों और सड़क का निर्माण एक करोड़ 62 लाख 74 हजार रुपए
3/फिनिक्स मॉल रोड से चिक्कर स्कूल व्यास शब्द होते हुए सड़क साइड के दोनों और पटरी का निर्माण दो करोड़ 50 लाख 34 हजार रुपए
4/ मूर्ति नर्सिंग होम से धर्मकांटा चौराहा तक सीसी टाइल्स सड़क और पटरी निर्माण 62 लाख 84 हजार रुपए
5/ पुलिस लाइन हेलीपैड की विप रोड और सर्विस रोड एक करोड़ 78 लाख 33 हजार रुपए
6/ एट बजाय चौराहा से मूर्ति नर्सिंग होम गंगापुर तक सीसी रोड टाइल्स और पटरी निर्माण 78 लाख 21 हजार रुपए
नगर निगम से अल्पकालीन निविदाअपलोड 30/11/2024
निविदा डालने की अंतिम तिथि 06/12/2024
निविदा की टेक्निकल बिड खुलने की तारीख 09/12/2024
खास ठेकेदार को टेंडर देने के लिए टेंडर अब तक फाइनल नही। इससे पहले यह टेंडर विभिन्न वजह बताकर तीन बार कैंसिल हो चुके हैं। Ncap के टेंडरो का काम राठी जी देख रहे हैं l। वही इस मामले में बेहतर बता सकते हैं।
मनीष अवस्थी
चीफ इंजीनियर, नगर निगम
Ncap टेंडर तीन बार कैंसिल हो चुके हैं। क्योंकि यह मानक पूरे नहीं कर रहे थे। इस बार अभी टेंडरो की फाइल विचाराधीन है l। पूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही टेंडर खुलेंगे।
शिरीष, एई नगर निगम बरेली
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