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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। चीन ने रेयर अर्थ खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए है। इसका सीधा असर भारत की घरेलू उत्पादन क्षमता और निर्यात पर पड़ेगा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों की एक ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यह असर विशेष रूप से पांच प्रमुख क्षेत्र-परिवहन उपकरण, बेसिक मेटल्स, मशीनरी, निर्माण और इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स में दिखेगा। आने वाले दिनों में यह बैन भारत के सामने चुनौतियां पैदा कर सकता है। रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने रेयर अर्थ खनिज और उससे संबंधित उत्पादों का 31.9 मिलियन डॉलर मूल्य का आयात किया। जबकि, रेयर अर्थ मैग्नेट्स के आयात का आंकड़ा 291 मिलियन डॉलर तक पहुंचा। भारत में इन सामग्रियों की खपत में बढ़ोतरी हो रही है। चीन इन खनिजों और कंपाउंड्स का भारत के लिए प्रमुख सप्लायर है। इस उच्च निर्भरता के चलते भारत के औद्योगिक क्षेत्र, विशेषकर मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात मुश्किल में पड़ सकते हैं।
घरेलू स्तर पर खनिजों की खोज जरूरी
रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि वित्तीय संस्थाएं और विशेष रूप से बैंकिंग क्षेत्र इस प्रतिबंध के चलते अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं। सरकार को सुझाव दिया है कि इस आयात निर्भरता को कम करने के लिए भारत को घरेलू स्तर पर खनिजों की खोज और दोहन को बढ़ाना चाहिए। इस संदर्भ में रिपोर्ट में ओडिशा सरकार की 8,000 करोड़ रुपए की योजना का जिक्र है, जिसके तहत गंजाम में खनिजों की खोज की जा रही।
रेयर अर्थ खनिज क्यों इतना अहम?
अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टीट्यूट के मुताबिक रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REE) 17 धात्विक तत्वों का समूह है। इनमें पीरियोडिक टेबल के 15 लैंथेनाइड, स्कैंडियम और यिट्रियम शामिल हैं। रेयर अर्थ एलिमेंट्स 200 से अधिक उत्पादों के आवश्यक घटक हैं। विशेष रूप से उच्च तकनीक वाले उपभोक्ता उत्पाद जैसे-सेलुलर टेलीफोन, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन और फ्लैट स्क्रीन मॉनिटर और टेलीविजन। यह इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले, गाइडेंस सिस्टम्स, लेजर, राडार, सोनार सिस्टम समेत खास डिफेंस एप्लीकेशन के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण है।
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