नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
दिल्ली के चुनावी कुरुक्षेत्र में भाजपा 59 उम्मीदवार उतार चुकी है। शेष 11 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम से चौंका सकती है। इसमें सबसे बड़ा नाम ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ फेम टीवी एक्ट्रेस और पूर्व केंद्रीय स्मृति ईरानी का है। चर्चा है कि पार्टी उन्हें ग्रेटर कैलाश या कैंट विधानसभा सीट में से किसी एक सीट से प्रत्याशी बना सकती है। बांग्लादेशी घुसपैठियों के सवाल पर स्मृति ईरानी ने तीन दिन पहले आम आदमी पार्टी की सरकार पर निशाना साधा था। उनकी उम्मीदवारी से दिल्ली का विधानसभा चुनाव और भी रोचक हो सकता है। मतदान में तीन सप्ताह ही शेष बचे हैं।
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अमेठी में राहुल को दे चुकी हैं पटखनी
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उप्र के अमेठी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को हराया था, यद्पपि वे वर्ष 2024 में स्वयं चुनाव हार गई थीं। इससे पहले ईरानी वर्ष 2009 में दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमा चुकी हैं। शानदार भाषण देने की कला और चर्चित चेहरा होने से भाजपा को चुनाव में इसका लाभ मिल सकता है। भाजपा ने इस बार चुनाव में सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक प्रमुख सीट पर बड़े चेहरों को उतारने की रणनीति तैयार की है।
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नई दिल्ली व कालकाजी सीट पर कड़ी टक्कर
नई दिल्ली की हॉट सीट से आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के सामने पूर्व सांसद एवं भाजपा का प्रमुख जाट चेहरा प्रवेश वर्मा को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को काफी रोचक बना दिया है। इसके बाद ही केजरीवाल ने जाट आरक्षण का मुद्दा उठाकर भाजपा पर निशाना साधा और खुलकर जातीय कार्ड खेला। इसकी काट के तौर पर भाजपा भी जाटों की अनेदखी का मुद्दा सामने ले आई। जाट आरक्षण का मुद्दा, चुनाव की केंद्रीय बहस में शामिल हो गया। इसी तरह कालकाजी में सीएम आतिशी के सामने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को उतारने से इस सीट पर भी राजनीतिक टक्कर दमदार हो गई है।
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ग्रेटर कैलाश सीट से लड़ सकती हैं ईरानी
स्मृति ईरानी को किस सीट से उतारा जाएगा, फिलहाल इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। चर्चा है कि भाजपा दिल्ली के कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज के सामने मजबूत चेहरा उतार उन्हें विधानसभा में चौथी बार जीतने से रोकना चाहती है। वर्ष 2013 से भारद्वाज ग्रेटर कैलाश क्षेत्र से ‘आप’ के विधायक चुने जा रहे हैं।
ईरानी फिलहाल 48 वर्ष की हैं। उनकी महिलाओं में अच्छी लोकप्रियता भी है। वह टेलीविजन धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से प्रसिद्ध हुई थीं। वर्ष 2003 से वह भाजपा में हैं। इनके अलावा भाजपा तेजतर्रार नेता और पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को भी आजमा सकती है। एक विवादित बयान के बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था। पार्टी का एक वर्ग चाहता है कि नूपुर का राजनीतिक वनवास खत्म होकर दिल्ली के चुनाव में उतारा जाए।
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