नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भाजपा की आंधी में आम आदमी पार्टी की झाड़ू इस बार तिनके की तरह बिखर गई है। ताजा रुझानों से स्पष्ट है कि एक दशक से अधिक समय तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही "आप" की विदाई तय है। चुनाव के रुझानों में ज्यादा फेरबदल नहीं होगा, जैसा पूर्वानुमान एग्जिट पोल्स में लगाया गया था, नतीजे भी लगभग उसी के अनुरूप हैं। मतगणना के बीच सवाल यह भी उठने लगे हैं कि आखिर दिल्ली की सियासत की सिरमौर आप की ऐसी दुर्गति क्यों हुई? दिल्ली की जनता ने आखिर क्यों केजरीवाल को खारिज कर दिया? यमुना की सफाई को लेकर जिस तरह की बयानबाजी हुई, क्या उसे भी दिल्ली की जनता ने नकार दिया? क्या शीशमहल, शराब घोटाला 'आप' को ले डूबा?
अन्ना आंदोलन से शराब घोटाले तक
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ वर्ष 2013 के सबसे बड़े राष्ट्रीयव्यापी अन्ना आंदोलन से उभरी केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने वर्ष 2015 में दिल्ली की सियासत में एंट्री की थी। इस चुनाव में दिल्ली की सत्ता पर काबिज कांग्रेस का चुनाव में पूरी तरह से सफाया हो गया। कांग्रेस जहां जीरो पर सिमट गई। आप 54.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 70 सीटों की विधानसभा में 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज हो गई। भाजपा को 32.3 प्रतिशत वोट मिला और तीन सीटों पर सिमट गई। जबकि कांग्रेस को महज 9.7 प्रतिशत वोट मिले।
इसी प्रकार वर्ष 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी 53 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 62 सीटें जीतकर सत्ता में शानदार वापसी करने में सफल रही। इस चुनाव में भाजपा के वोट शेयर में छह प्रतिशत का फायदा हुआ। भाजपा को 38.7 प्रतिशत वोट मिले और आठ सीटें जीतने में सफल रही। कांग्रेस का वर्ष 2020 में भी खाता नहीं खुला और पार्टी के वोट शेयर में गिरावट जारी रही। कांग्रेस को महज 4.3 प्रतिशत ही वोट मिले। इन दोनों चुनावों की एक विशेषता यह भी रही कि केजरीवाल का चेहरा एकदम बेदाग रहा।
एंटी इंकंबेंसी फेक्टर
वर्ष 2024 आते-आते केजरीवाल को इस चुनाव में एंटी इंकंबेंसी फैक्टर का भी सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री ने चुनाव की शुरुआत में ही 'शीशमहल' का मुद्दा छेड़कर केजरीवाल के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी। बाद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी शीशमहल को लेकर केजरीवाल पर निशाना साधा। इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए केजरीवाल ने यमुना के प्रदूषण का मुद्दा उठाया।
चुनाव रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने हरियाणा की तरफ से दिल्ली को भेजे जाने वाले पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोगों को पानी से वंचित करना, इससे बड़ा पाप कुछ भी नहीं है। कहा, यह प्रदूषित पानी इतना जहरीला है कि इसे दिल्ली में मौजूद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मदद से भी उपचारित नहीं किया जा सकता है। भाजपा दिल्लीवासियों की सामूहिक हत्या करनी चाहती है, लेकिन यह मुद्दा उलटा पड़ गया।
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शराब घोटाले से केजरीवाल की छवि तार-तार
शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, संजय सिंह जैसे आप के शीर्ष नेताओं के जेल जाने की वजह से आम आदमी पार्टी की छवि को गहरा धक्का लगा। चुनाव के रुझानों में दिखाई दे रहा है कि केजरीवाल की छवि पर लगे शराब घोटाले के दाग का भी चुनाव में असर पड़ा है। इस घोटाले से ईमानदारी की साफ-सुथरी छवि के साथ आए केजरीवाल बेदाग नहीं दिखाई दिए। भाजपा ने यमुना, शराब घोटाला, आम आदमी पार्टी की वादाखिलाफी जैसे मुद्दों को काफी हवा दी। यही हवा चुनाव आते-आते आंधी में बदल गई और आम आदमी पार्टी की झाड़ू बिखर गई है।
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मुफ्त रेवड़ी की राजनीति नहीं आई काम
मतगणना के शुरुआती रुझानों से स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी को इस बार मुफ्त रेवड़ी बांटने की राजनीति का भी कोई लाभ नहीं मिला। अरविंद केजरीवाल ने देश की राजनीति में आम जनता को मुफ्त बिजली-पानी, बस यात्रा, शिक्षा जैसी सुविधाएं देने की शुरुआत की, इस बार राज्य की जनता मुफ्त रेवड़ियों के झांसे में नहीं आई। हालांकि भाजपा और कांग्रेस ने भी इस बार केजरीवाल की मुफ्त की राजनीति का तोड़ निकाला और मुफ्त योजनाओं व कार्यक्रमों की झड़ी लगा दी। वोटिंग पैटर्न से नजर आता है कि आम लोगों ने मुफ्त की योजनाओं के भ्रमर में फंस गई। यह इस चुनाव में भाजपा की रणनीति का भी हिस्सा रहा है। हालांकि अंतिम परिणाम के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।