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वाईबीएन डेस्क, नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump लगातार बयान दे रहे हैं। अब तक 26 बार कह चुके हैं कि उन्होंने जंग रुकवाई। इस पर भारत सरकार से विपक्ष भी लगातार जवाब मांग रहा था। अब मोदी सरकार ने संसद में स्पष्ट जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) का कहन है कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ सीजफायर पूरी तरह द्विपक्षीय था। इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, तृणमूल सांसद माला रॉय सहित अन्य सांसदों द्वारा इस मुद्दे पर सवाल किए जाने के बाद मोदी सरकार ने संसद में कहा कि पाकिस्तान से सैन्य वार्ता के बाद सीजफायर पर पर सहमति बनी थी। इसमें ट्रंप सरकार का दखल नहीं था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। 8 मई तक भारत ने सैन्य उद्देश्य हासिल कर लिए थे। उसके बाद पाकिस्तान की पहल पर सैन्यस्तरीय वार्ता शुरू हुई। 10 मई को भारत ने सीजफायर की घोषणा की। वह पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच की बातचीत का नतीजा था।
अमेरिकी व्यापार समझौते के दबाव में नहीं लिया गया फैसला: मंत्री
विदेश राज्य मंत्री कृति वर्धन सिंह ने संसद में कहा कि अमेरिका का हस्तक्षेप नहीं था। ट्रंप के यह कहने कि भारत ने अमेरिकी व्यापार समझौते के दबाव में कदम पीछे खींचा पूरी तरह बेबुनियाद है। भारत ने अमेरिका को सूचित किया था कि पाकिस्तान किसी बड़े हमले की कोशिश करता है तो भारत कड़ा और निर्णायक जवाब देगा। भारत ने दोहराया कि कश्मीर और भारत-पाक संबंध पूरी तरह द्विपक्षीय विषय हैं। किसी भी तीसरे पक्ष चाहे वह अमेरिका क्यों न हो की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जा सकती। यह संदेश अमेरिका को स्पष्ट रूप से दिया गया है।
किसी बाहरी दबाव का भारत में स्थान नहीं: जयशंकर
राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका में कई सार्वजनिक कार्यक्रमों और चुनावी भाषणों में दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष को रुकवाया और शांति स्थापित कराई। उनके दावों के बाद भारत में राजनीतिक तूफान उठा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाए कि क्या भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता खतरे में है? विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि भारत अपने सैन्य और कूटनीतिक निर्णय खुद लेता है। किसी बाहरी दबाव या सौदेबाजी का इसमें कोई स्थान नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत जब तक भारत ने आतंकी ढांचे को तहस-नहस नहीं कर दिया, तब तक समझौता नहीं हुआ। भारत की शर्तों पर सीजफायर हुआ, न कि अमेरिकी राष्ट्रपति की पहल पर।
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