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Sharad Pawar की BJP के साथ डील में अड़ंगा! Amit Shah के डायरेक्ट अटैक का मतलब समझिए

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शरद पवार पर करारा हमला बोला है। पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने पवार को धोखेबाज तक कह दिया। इसके बाद बीजेपी के साथ पवार की कथित डील पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।

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Aditya Pujan
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मुंबई, वाईबीएन नेटवर्क।
क्या शरद पवार और बीजेपी के बीच डील में कोई अड़ंगा लग गया है। अब तक ये खबरें आ रही थीं कि एनसीपी के दोनों गुटों का विलय कर पवार बीजेपी के साथ जाने की योजना बना रहे हैं। कहा यह भी जा रहा था कि डील के तहत शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले केंद्र की नरेंद्र मोदी कैबिनेट में मंत्री बन जाएंगे। इससे पवार का पारिवारिक झगड़ा भी खत्म हो जाएगा क्योंकि अजीत पवार महाराष्ट्र और सुप्रिया केंद्र की राजनीति में एक्टिव रहेंगी। इसी बीच रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐसा बम फोड़ा कि इन सब तैयारियों पर पानी फिरता दिख रहा है। 

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शाह के निशाने पर पवार

अमित शाह ने रविवार को बीजेपी के राज्यस्तरीय सम्मेलन के समापन भाषण में न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं की कर्मनिष्ठा की तारीफ की बल्कि विपक्षी नेताओं, खासकर शरद पवार की बखिया उधेड़ डाली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की बड़ी जीत और विपक्ष की शर्मनाक हार की व्याख्या करते हुए शाह ने एनसीपी (एसपी) चीफ शरद पवार को प्रदेश की राजनीति का विलेन साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शाह ने कहा कि 1978 में शरद पवार ने धोखेबाजी की जो राजनीति शुरू की थी, उसको 20 फुट जमीन में दफनाने का काम महाराष्ट्र के लोगों ने किया है। इसके बाद से सवाल उठने लगे हैं कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि शाह ने पवार को धोखेबाज और विलेन तक कह डाला।

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क्या है शाह की रणनीति?

सियासी नजरिये से देखें तो शाह का ये बयान विपक्ष पर हमला करने की उनकी सुनियोजित रणनीति का ही हिस्सा नजर आता है। शरद पवार भविष्य में चाहे जो करें, फिलहाल वे इंडिया गठबंधन का ही हिस्सा हैं। पवार केवल हिस्सा ही नहीं हैं, बल्कि विपक्षी इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं। महाराष्ट्र चुनाव में चारों खाने चित गिरे विपक्ष के लिए कम-से-कम कुनबे को जोड़े रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है। शरद इस कुनबे का प्रमुख चेहरा हैं। इसलिए शाह ने उन्हें निशाना बनाकर विपक्ष की राजनीतिक विश्वसनीयता पर सवाल और गहरा करने की कोशिश की है।

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कहीं ये प्रेशर पॉलिटिक्स तो नहीं!

राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का हर बयान उनकी रणनीति का हिस्सा होता है। उनके ताजा बयान को प्रेशर पॉलिटिक्स के नजरिये से भी देखा जा सकता है। महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार इन दिनों अलग-थलग पड़े हुए हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद शिवसेना (उद्धव) अपने लिए नए अवसर तलाश रही है। मुखपत्र सामना में देवेंद्र फडणवीस की तारीफ को बीजेपी के करीब आने की उद्धव की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी ओर, कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन की खास सुध नहीं ले रही। ऐसे में शरद पवार ही राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के निशाने पर सबसे ज्यादा हैं। शाह ने अपने बयान से पवार को ये संदेश दे दिया है कि विपक्ष के साथ रहकर उनकी सियासी दुश्वारियां कम नहीं होने वाली हैं।

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कार्यकर्ताओं में भरा जोश

पवार पर शाह के ऑल आउट अटैक का एक पक्ष और है। राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप आम है। शाह पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में भाषण दे रहे थे। उस समय पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरना उनका पहला टास्क था जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया। शरद पवार हों या उद्धव ठाकरे, शाह के प्रहारों का इससे ज्यादा मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।  

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