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Republic Day 2025: आखिर कैसे बनती है गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि को बुलाने की योजना? कौन सा देश सबसे ज्यादा बार बना मेन चीफ गेस्ट?

Republic Day 2025: गणतंत्र दिवस के इस खास अवसर पर अतिथि का चुनाव अंतरराष्ट्रीय सहयोग विदेश नीति और द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में क्या कभी आपके मन में यह सवाल आया है कि आखिर मुख्य अतिथि को बुलाने की योजना कैसे बनती है?

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Pooja Attri
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Republic Day

Republic Day Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क

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Republic Day 2025: देशभर में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) का जश्न मनाया जा रहा है। हर साल 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस का समारोह किया जाता है, जिसमें देश-विदेश से कई मुख्य गेस्ट को इनवाइट किया जाता है। सन 1950 में शुरू की गई यह परंपरा आज तक निभाई जा रही है। गणतंत्र दिवस के इस खास अवसर पर अतिथि का चुनाव अंतरराष्ट्रीय सहयोग विदेश नीति और द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। 

इस साल 26 जनवरी के समारोह में अमेरिका, रूस, फ्रांस, पाकिस्तान और जापान के साथ ही कई अन्य प्रमुख देश भी शामिल हैं। ऐसे में क्या कभी आपके मन में यह सवाल आया है कि आखिर मुख्य अतिथि को बुलाने की योजना कैसे बनती है? कौन से देश को इस समारोह में आने का मौका सबसे ज्यादा बार मिला? गणतंत्र दिवस की इस परंपरा का इंटरनेशनल रिलेशन्स पर क्या असर पड़ता है? आइए जानते हैं यहां विस्तार से। 

दो बार पाकिस्तान बना मुख्य अतिथि 

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हमेशा से ही भारत-पाक के बीच रिश्ते जटिल रहे हैं। लेकिन संघर्ष और तनाव के बावजूद 26 जनवरी के समारोह में पाकिस्तान के नेताओं को मुख्य गेस्ट के तौर पर इनवाइट किया गया। आपको बता दें कि पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को साल 1955 में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। वहीं, साल 1965 में भी पाकिस्तान के कृषि मंत्री राना अब्दुल हामिद 26 जनवरी के समारोह में मुख्य गेस्ट के रूप में शामिल हुए थे। 

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किसे मिला सबसे ज्यादा मौका? 

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बता दें कि अब तक गणतंत्र दिवस समारोह में फ्रांस के नेताओं को सबसे ज्यादा बार इनवाइट किया गया है।  गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि के तौर पर फ्रांस के नेताओं को साल 1976, 1980, 1998, 2008, 2016 और 2024 में आमंत्रित किया गया था। यह फ्रांस और भारत के बीच खास द्विपक्षीय रिश्तों की झलक पेश करता है। भारत और फ्रांस के रिश्ते परमाणु ऊर्जा, रक्षा, तकनीकी सहयोग और आतंकवाद के क्षेत्रों में बेहद मजबूत हैं। 

रणनीतिक साझेदारी की मिसाल पेश करते भारत और फ्रांस ने कई महत्वपूर्ण समझौते किए हैं, जिनमें मिसाइल प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष कार्यक्रम और रक्षा सौदे शामिल हैं। भारत और फ्रांस के द्विपक्षीय रिश्तों के महत्व को फ्रांस के राष्ट्रपति की गणतंत्र दिवस दिवस पर उपस्थिति और भी ज्यादा बढ़ाती है। इससे दोनों देशों के बीच रिश्ता मजबूत होता है। वहीं, गणतंत्र दिवस में अमेरिका केवल एक बार ही साल 2015 में शामिल हुआ, जिसमें राष्ट्रपति बराक ओबामा इस कार्यक्रम का हिस्सा बने थे। 

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कैसे बनती है मुख्य अतिथि को बुलाने की योजना?

गणतंत्र दिवस के खास अवसर पर मुख्य गेस्ट को आमंत्रित करने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल और सोच-समझकर बनाई गई रणनीति होती है, जिसका फैसला कई बातों को ध्यान में रखते हुए लिया जाता है। 

कूटनीतिक और राजनीतिक संबंध 

मुख्य अतिथि का चुनाव करते समय सबसे पहला और अहम कारक दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और राजनीतिक रिश्ते होते हैं। अगर दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते हैं तो उस देश के प्रमुख को इनवाइट किया जाता है। इससे न सिर्फ दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक पॉजिटिव मैसेज भी देता है।

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रक्षा और आर्थिक सहयोग

मुख्य अतिथि के चुनाव में रक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में साझेदारी को भी महत्व दिया जाता है। भारत उस देश को आमंत्रित करता है जिसके साथ रक्षा, व्यापारिक और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साझेदारी बेहतर है।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति

मुख्य अतिथि को बुलाने में वैश्विक संदर्भ और अंतरराष्ट्रीय राजनीति भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे भारत ने साल 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को अपने रणनीतिक साझेदारी के रिश्तों को मजबूत करने के लिए आमंत्रित किया था।  

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते

कई बार ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी ध्यान में रखते हुए मुख्य अतिथि का चुनाव किया जाता है। भारत और अन्य देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। 

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