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Bihar
पटना, वाईबीएन नेटवर्क।
बिहार में लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू के बीच अलग ही खेल चल रहा है। एक ओर लालू यादव अपने छोटे भाई नीतीश को महागठबंधन में वापस आने का निमंत्रण दे रहे हैं तो दूसरी ओर तेजस्वी यादव उन पर लगातार हमलावर हैं। तेजस्वी ने पहले ये कहा कि महागठबंधन में नीतीश के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा है। अब उन्होंने नीतीश की प्रगति यात्रा पर एक कार्टून के जरिए हमला बोला है।
एक्स पर शेयर किया कार्टून
तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर कार्टून शेयर कर नीतीश को टायर्ड सीएम करार दिया है। एक्स पर अपनी पोस्ट में तेजस्वी ने लिखा है कि थके हुए मुख्यमंत्री ने रिटायर्ड अधिकारियों के साथ मिलकर बिहार के युवाओं की आशाओं को निराशाओं में बदल दिया है। विज्ञापनों के माध्यम से सैंकड़ों करोड़ झूठे प्रचार में फूंक रहे है। बिहारियों के जीवन को आबाद करने की बजाय उसे बर्बाद कर दिया है। बिहार की प्रगति को दुर्गति की अग्नि में झोंक दिया है।
थके हुए मुख्यमंत्री ने रिटायर्ड अधिकारियों के साथ मिलकर बिहार के युवाओं की आशाओं को निराशाओं में बदल दिया है। विज्ञापनों के माध्यम से सैंकड़ों करोड़ झूठे प्रचार में फूंक रहे है। बिहारियों के जीवन को आबाद करने की बजाय उसे बर्बाद कर दिया है। बिहार की प्रगति को दुर्गति की अग्नि में… pic.twitter.com/Dkt0lDRuoN
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 8, 2025
पुल गिरने की घटनाओं पर कटाक्ष
तेजस्वी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कार्टून के जरिए बिहार में लगातार गिर रहे पुलों पर भी कटाक्ष किया है। उन्होंने आगे लिखा कि बेसुध सरकार और उसके मुखिया के नेतृत्व में एक बरसात में ही सैंकड़ों पुल-पुलिया ढह जाते है। दो दशक से हर प्रकार की परीक्षाएं पेपर लीक और धांधली की भेंट चढ़ाई जा रही है। महंगाई हर घर-हर परिवार को खा रही है। छोटे बड़े व्यवसायों का व्यवसाय बर्बादी के कगार पर है। इनके शासन में गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और पलायन में बिहार अव्वल है।
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अलग-अलग बयान दे रहे लालू और तेजस्वी
बिहार की सियासत में इन दिनों दो बातों की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है। पहला बीजेपी से नीतीश की कथित नाराजगी। दूसरा नीतीश को लेकर लालू और तेजस्वी के अलग-अलग रुख। नीतीश की सरकार में डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी अपने चाचा पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। वे नीतीश को थका हुआ सीएम बताकर उनकी उम्र और गिरते स्वास्थ्य की याद दिला रहे हैं। दूसरी ओर, लालू का रुख ऐसा है मानो वे बांहें फैलाकर नीतीश का स्वागत करने को तैयार बैठे हों।
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नीतीश के लिए संदेश तो नहीं
राजनीति के जानकार इस दोहरे नजरिये को भविष्य में बिहार में बनने वाले राजनीतिक समीकरणों से जोड़ रहे हैं। उनका मानना है कि अलग-अलग बयानबाजी में दरअसल नीतीश के लिए एक संदेश छिपा है। उन्हें बताया जा रहा है कि महागठबंधन में आपका स्वागत है, लेकिन अब सीएम कैंडिडेट बनने की इच्छा न रखें। आपकी उम्र अब इसकी इजाजत नहीं देती। हालांकि, यह केवल राजनीतिक कयासबाजी है। हो सकता है तेजस्वी के बयानों का मकसद नीतीश को महागठबंधन में आने से रोकना ही हो। ऐसी हालत में उनके सीएम कैंडिडेट बनने में वैसे ही कोई परेशानी नहीं आएगी।
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