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Devdiwalinews Photograph: (ians)
नई दिल्ली। देव दीपावली, जिसे काशी की दीपावली भी कहा जाता है, इस वर्ष अत्यंत शुभ योग में मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन स्वयं देवता पृथ्वी पर आकर दीप जलाते हैं। देव दीपावली पर गंगा स्नान, दीपदान और भगवान शिव की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन घाटों पर दीपों की अद्भुत छटा बिखरती है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता का संचार करती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन गंगा स्नान कर दीपदान करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में लक्ष्मी का वास होता है। शाम के समय गंगा आरती में शामिल होना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। साथ ही, जरूरतमंदों को अन्न या वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। देव दीपावली का पर्व आध्यात्मिक ऊर्जा, शुद्धता और नई शुरुआत का प्रतीक है।
शुभ तिथि
मालूम हो कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 5 नवंबर शाम 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। इसके बाद अगहन महीने की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन देव दीपावली, गुरु नानक जयंती, पुष्कर स्नान और कार्तिक पूर्णिमा व्रत हैं।
अभिजीत मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को अभिजीत मुहूर्त कोई नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। देव दीपावली का उल्लेख शिव पुराण और पद्म पुराण में मिलता है। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिसके बाद देवताओं ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी में दीप जलाकर देव दीपावली मनाई थी।
ग्रहों से दोषों को दूर करने के उपाय
ज्योतिष के अनुसार, देव दीपावली पर राहु-केतु, मंगल, गुरु, बुध और शनि ग्रहों से दोषों को दूर करने के लिए विशेष उपाय भी किए जाते हैं। इसके अलावा, घर में वास्तु दोष दूर करने और सुख समृद्धि पाने के लिए घर के हर कोने में गंगाजल का छिड़काव करना लाभकारी होता है। इस दिन भोलेनाथ की स्तुति और राम भक्त हनुमान की पूजा करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करने से हनुमान भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
गुरु पर्व या प्रकाश पर्व
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म भी 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। इसे गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। सिख समुदाय सुबह अमृत वेला में गुरुद्वारों में एकत्रित होकर कीर्तन, लंगर और नगर कीर्तन निकालते हैं। साथ ही स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में विशेष आतिशबाजी और प्रकाश व्यवस्था होती है।
दामोदर मास
कार्तिक माह को दामोदर मास भी कहते हैं। इस दिन गंगा स्नान, व्रत, दान और चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। मान्यता है कि भगवान विष्णु मत्स्य रूप में जल में विराजमान रहते हैं, इसलिए दीपदान किया जाता है। इसके अलावा वैकुंठ चतुर्दशी के पूजन का भी विशेष महत्व है, जब भगवान विष्णु ने भगवान शिव का पूजन किया था।
(इनपुट-आईएएनएस)
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