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मार्गशीर्ष माह के इस मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का हो रहा बेहद शुभ संयोग

कि सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है। यह योग कई प्रकार के शुभ कार्यों जैसे नया व्यापार शुरू करने, वाहन खरीदने या नए घर में प्रवेश करने के लिए उत्तम माना जाता है। इसी के साथ ही द्वादशी को मंगलवार भी पड़ रहा है।

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YBN News
Hanuman

Hanuman Photograph: (IANS)

नई दिल्ली। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग माना गया है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।

अभिजीत मुहूर्त

मालूम हो कि इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार मंगलवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 2 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर शाम 4 बजकर 6 मिनट तक रहेगा।

शुभ कार्यों के लिए उत्तम

जानकारी हो कि सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है। यह योग कई प्रकार के शुभ कार्यों जैसे नया व्यापार शुरू करने, वाहन खरीदने या नए घर में प्रवेश करने के लिए उत्तम माना जाता है। इसी के साथ ही द्वादशी को मंगलवार भी पड़ रहा है। कोई विशेष पर्व न होने के कारण इस दिन आप राम भक्त हनुमान का व्रत और उनकी उपासना कर सकते हैं। इस दिन किए गए कुछ काम बहुत शुभ फल देते हैं।

मंगल ग्रह का प्रतीक

मान्यता है कि लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है। इस दिन लाल कपड़े पहनना और लाल रंग के फल, फूल और मिठाइयां अर्पित करना शुभ माना जाता है। मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शक्ति और साहस में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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विधि-विधान से पूजा

इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म-स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और पूजा की सामग्री रखें और उस पर अंजनी पुत्र की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद, हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और प्रसाद चढ़ाएं और बजरंग बली की आरती करें। इसके बाद आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम करके प्रसाद ग्रहण करें। दिन शाम को भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।

(इनपुट-आईएएनएस)

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