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सावन का महीना आते ही न केवल मौसम में ठंडक और हरियाली आती जाती है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी यह बहुत खास हो जाता है। इस पावन महीने में हरे रंग का विशेष महत्व माना जाता है। हरा रंग सिर्फ एक रंग नहीं, बल्कि यह जीवन, ऊर्जा और प्रकृति का प्रतीक है।
हरा रंग–समृद्धि और प्रेम का प्रतीक
भारतीय परंपरा में हरा रंग सौभाग्य, समृद्धि, प्रेम और ताजगी का वर्णन करता है। यह महीना विशेष रूप से शिव भक्ति, व्रत, त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ा होता है, जहां हरे रंग की अहम भूमिका होती है।
महिलाओं के लिए हरे रंग का महत्व
सावन के महीने में महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां, साड़ियां, सूट, बिंदियां और अन्य आभूषण पहनना शुभ मानती हैं। ऐसा विश्वास है कि हरा रंग पहनने से पति की लंबी उम्र, दांपत्य जीवन में सुख-शांति और घर में समृद्धि बनी रहती है। यह त्यौहार प्रेम, समर्पण और सौभाग्य की भावना को मजबूत करता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण
ध्यान और मानसिक शांति के लिए भी हरा रंग उपयोगी माना जाता है। यह मन को शांत करता है और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। पूजा-पाठ, व्रत और ध्यान में इसका उपयोग मानसिक एकाग्रता को बढ़ाता है।
सावन और प्रकृति का मेल
सावन में वर्षा के कारण धरती पर हरियाली छा जाती है, जो जीवन के विकास और उन्नति का प्रतीक है। यह प्राकृतिक बदलाव हमारे पहनावे और रीति-रिवाजों में भी परिलक्षित होता है।
सावन में हरा रंग केवल फैशन नहीं, आस्था, परंपरा और सौभाग्य का रंग है। यह महीना स्त्री शक्ति, प्रेम, प्रकृति और आध्यात्मिक ऊर्जा के उत्सव के रूप में हरे रंग से सज जाता है।