गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
सरकारी कागज लेने में पैसा लगता है बाबू।
जी हां हम बात कर रहे हैं नगर निगम की आए दिन नगर निगम किसी न किसी कार्य को लेकर सुर्खियों में रहता है कही अतिक्रमण को हटाना हो, कहीं टैक्स की वसूली करनी हो, कहीं नाली खड़ंजे का विकास हो या कहीं निगम की जमीन पर कब्जे को समाप्त करना हो।
इसी नगर निगम का एक काला अध्याय और भी है नगर निगम में बैठे उन बाबू और कर्मचारियों जो फ़ाइलों को तीन तीन महीने तक अटका कर रखते हैं।जब ज़ोनल अधिकारी सुनील चौहान से इस बाबत शिकायत करी तो हमेशा की तरह वह भी आदतन कोई जवाब नहीं दे रहे है।
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सुविधा शुल्क
यदि आपके परिवार में किसी का जन्म या मृत्यु का प्रमाण पत्र बनना हो तो आप ऑनलाइन फॉर्म भर दीजिए। प्रमाण पत्र नहीं मिल पाएगा क्योंकि जब तक कुर्सी पर बैठे बाबुओं की जेब गर्म नहीं होगी तब तक आप निगम के ऐसे ही चक्कर काटते रहेंगे।
जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए परिजन काट रहे हैं चक्कर , निगम में चल रहा है रिश्वतखोरी का बड़ा खेल।
केस 1
नहीं बना जन्म प्रमाण पत्र
विजय नगर जोन
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बता दे विजयनगर निवासी बबलू अपने पुत्र का आधार कार्ड बनवाने के लिए आधार सेंटर जाते हैं तो वहां कर्मचारी बबलू से जन्म प्रमाण पत्र मांगता है लेकिन जन्म प्रमाण पत्र निगम द्वारा अभी तक लंबित रहा है। लगभग तीन माह से प्राथी लगातार निगम के जोनल कार्यालय पर चक्कर लगा रहे है, निगम में शिकायत करने के बाद भी बाबुओं के कान पर नहीं रेंग रही हैं जू।
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पीड़ित ने मांगा जवाब
प्रार्थी निगम के जन्म प्रमाण पत्र काउंटर पर जाते हैं और दस्तावेज जमा कर देते हैं तब से लगभग 90 दिन से ऊपर का समय हो चुका है प्रमाण पत्र बन नहीं पा रहा है, खुलकर तो नहीं दबे इशारों में सुविधा शुल्क की मांग करी जा रही है जो पीड़ित को नागवारा लगी। पीड़ित के अनुसार उसने वहां बैठे अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश भी करी लेकिन वही ढाक के तीन पात।
केस 2
सिटी जोन
मृत्यु प्रमाण पत्र दे दो
नहीं बन रहा है मृत्यु प्रमाण पत्र
दो महापूर्व दिल्ली गेट निवासी पुनीत गुप्ता की मृत्यु कैंसर के कारण हो जाती है घर में पत्नी वह एक छोटे बेटे के अलावा कोई नहीं बचा मृतक के साले मयंक गुप्ता जब शमशान घाट से मिली पर्ची को लेकर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए फॉर्म भर के जमा कर देते हैं तो उन्हें आश्वासन मिलता है कि 10 दिनों में मृत्यु प्रमाण पत्र आपको मिल जाएगा।
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लेकिन इस बात को भी लगभग 2 महीने से ऊपर का समय हो चुका है मयंक गुप्ता जब भी टाउन हॉल स्थित निगम कार्यालय जाते हैं तो हर बार कोई नया बहाना बनाकर उनको वहां से टाल दिया जाता है। करण वाही कि अगर चाहिए प्रमाण पत्र तो थोड़ा सा सुविधा शुल्क तो लगेगा।
आखिरकार निगम के भ्रष्ट होते अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या नगर आयुक्त विक्रमादित्य मलिक वह अपनी सख्त कार्यशैली के लिए प्रसिद्ध महापौर सुनीता दयाल कोई ठोस कदम उठाएंगी या आम आदमी एक कागज के टुकड़े के लिए दर दर की ठोकर खाता रहेगा।