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Mouth ulcers: योग और प्राणायाम से पाएं मुंह के छालों में राहत, तनाव कम करने का भी कारगर उपाय

मुंह के छाले अक्सर पाचन तंत्र की गड़बड़ी या मानसिक तनाव के कारण होते हैं। इनसे राहत पाने के लिए योग और प्राणायाम बेहद लाभदायक माने गए हैं। अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी जैसे प्राणायाम शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाकर सूजन और जलन को कम करते हैं।

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YBN News
Mouthulcers

Mouthulcers Photograph: (AI)

नई दिल्ली। मुंह के छाले अक्सर पाचन तंत्र की गड़बड़ी या मानसिक तनाव के कारण होते हैं। इनसे राहत पाने के लिए योग और प्राणायाम बेहद लाभदायक माने गए हैं। अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी जैसे प्राणायाम शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाकर सूजन और जलन को कम करते हैं। साथ ही, तनाव घटाकर शरीर को संतुलित रखते हैं। योगासन जैसे शवासन और बालासन मन को शांति देते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। संतुलित आहार, पर्याप्त पानी और नियमित योग से मुंह के छालों की समस्या से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।

मुंह के छाले के कारण

जानकारी के अनुसार कई बार मुंह में छाले होने से खाने-पीने, बोलने या मुस्कुराने तक में लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अक्सर लोग इसे थोड़े दिनों की समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अगर यह बार-बार होने लगे तो चिंता का विषय बन सकता है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, मुंह के छाले (अल्सर) शरीर में विटामिन की कमी के संकेत भी हो सकते हैं। योग और प्राणायाम की मदद से इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 

शीतली प्राणायाम:

मुंह के छालों का एक मुख्य कारण शरीर में गर्मी का बढ़ जाना है। जब हम शीतली प्राणायाम करते हैं, तो यह शरीर के अंदरूनी तापमान को नियंत्रित करता है और शीतलता लाता है। नियमित अभ्यास से शरीर में ठंडक बनी रहती है और मुंह की चोटों से उबरने की प्रक्रिया तेज होती है। नतीजतन, मुंह की नाजुक झिल्लियों पर तनाव कम होता है और जलन और दर्द में राहत मिलती है। इसके अलावा यह पाचन शक्ति को भी मजबूत करता है, जिससे भोजन जल्दी और सही तरीके से पचता है। मुंह के छालों का कारण बनने वाली आंतरिक गर्मी और विषाक्त तत्व बाहर निकल जाते हैं। 

शीतकारी प्राणायाम:

यह प्राणायाम मुंह और जीभ को शांत करके पित्त और गर्मी को नियंत्रित करता है।शीतकारी प्राणायाम भी इसी तरह का लाभ देता है, लेकिन यह मानसिक शांति और शरीर के अंदरूनी संतुलन पर अधिक असर डालता है।  जब शरीर का अग्नि तत्व संतुलित रहता है, तो मुंह में जलन और दर्द कम होता है। इसके अलावा, यह पूरे शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। यानी सिर्फ मुंह के छाले ही नहीं, बल्कि शरीर की अन्य समस्याएं जैसे तनाव, थकान और पेट की गर्मी भी कम होती है। मानसिक तनाव और चिंता भी मुंह के घावों को बढ़ा सकते हैं और शीतकारी प्राणायाम इसमें भी राहत प्रदान करता है।

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सूर्य नमस्कार:

सबसे लोकप्रिय योगासनों में से सूर्य नमस्कार एक है। सूर्य नमस्कार से शरीर का रक्त संचार और ऊर्जा स्तर बढ़ता है, जिससे विटामिन और पोषक तत्व शरीर में सही तरीके से पहुंचते हैं। यही कारण है कि मुंह के छाले और अन्य छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं जैसे त्वचा की समस्या या थकान भी धीरे-धीरे कम होती हैं। इसके अलावा, यह मुंह के छालों को रोकने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद करता है। इस आसन का नियमित अभ्यास शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है तो मुंह में छोटे-छोटे घाव बनने की संभावना काफी कम हो जाती है।

सेतु बंधासन:

सेतु बंधासन भी मुंह के छालों के खिलाफ लड़ाई में सहायक है। यह आसन हृदय रक्त को रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पूरे शरीर में पंप करने में मदद करता है, जिससे ऑक्सीजन, पोषक तत्व और हार्मोन कोशिकाओं तक पहुंचते हैं। ऐसे में चोटें और मुंह के छाले जल्दी भरते हैं। इसके अलावा, यह आसन तनाव और चिंता को कम करता है।


 (इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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