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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
वैज्ञानिकों ने जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं को लेकर हाल ही में एक अध्ययन किया है। इसमें बताया गया है कि ट्विंस बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा दोगुना है। वहीं एक बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं इस खतरे से कोसो दूर हैं। यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश हुई इस स्टडी में पाया गया है कि जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं को मां बनने के एक साल के भीतर ही हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
इन महिलाओं को है खतरा
अध्ययन में बताया गया है कि ऐसी महिलाओं को अधिक खतरा है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लडप्रेशर की समस्या से पीडि़त थीं। उनमें जुड़वा बच्चों के जन्म के बाद हार्ट डिजीज का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इस स्टडी को अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की ओर से किया गया है। इसमें सामने आया है कि पिछले कुछ दशकों में पूरी दुनिया में जुड़वा गर्भधारण के मामले पहले की तुलना में काफी बढ़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (बांझपन का इलाज) और अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी का होना बताया जा रहा है।
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क्यों बढ़ रह है हार्ट डिसीज का खतरा?
मुख्य शोधकर्ता डॉ. रूबी लिन ने बताया कि जुड़वा गर्भावस्था के दौरान मां के हार्ट को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और डिलीवरी के बाद हृदय को सामान्य स्थिति में लौटने में कई सप्ताह लग जाते हैं, जिस कारण हार्ट डिजीज होने का खतरा बढ जाता है। उन्होंने बताया जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं थी, उन्हें भी बच्चे की डिलीवरी के बाद एक साल तक हृदय रोग का खतरा बना रहता है।
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3 करोड़ से अधिक महिलाओं पर किया शोध
स्टडी करने वाली टीम ने 2010 से 2020 के बीच अमेरिका में 3.6 करोड़ डिलीवरी केसेस के आंकड़ों का अध्ययन किया। इसमें सामने आया कि जुडवा बच्चों की माताओं में हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर 1,105.4 प्रति 1 लाख प्रसव थी, वहीं एक बच्चे को जम्न देने वाली महिलाओं में यह दर 734.1 प्रति 1 लाख प्रसव थी। अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लडप्रेशर की समस्या नहीं थी तो भी जुड़वा बच्चों की मां बनने पर हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना दोगुनी से अधिक रही। हाई ब्लड प्रेशर के मामले में खतरा आठ गुना ज्यादा बढ़ गया।
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