Advertisment

Myanmar earthquake: ISRO ने जारी कीं तबाही की तस्वीरें, सैटेलाइट से दिखा भयावह नजारा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने म्यांमार में आए भयंकर भूकंप से हुई भारी तबाही की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं। तस्वीरोंं में त्रासदी का भयावह नजारा दिखा।

author-image
Dhiraj Dhillon
इसरों की ओर से जारी की गईं सैटेलाईट तस्वीरें

इसरों की ओर से जारी की गईं सैटेलाईट तस्वीरें Photograph: (Google)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Myanmar earthquake news: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने म्यांमार में आए भयंकर भूकंप से हुई भारी तबाही की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं। शुक्रवार को म्यांमार में आए भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा दो हजार को पार कर गया है और घायलों की संख्या चार ह‌जार तक पहुंच गई है। भूकंप से म्यांमार के पड़ोसी देश थाईलैंड में भी काफी नुकसान हुआ है। वहां भी मौतें हुई हैं। इस भूकंप का केंद्र म्यांमार में मांडले के पास था। इसरो की ओर से जारी की गई तस्वीरोंं में त्रासदी का भयावह नजारा दिखा।
इसरों की ओर से जारी की गईं सैटेलाईट तस्वीरें
इसरों की ओर से जारी की गईं सैटेलाईट तस्वीरें Photograph: (Google)

500 किमी की ऊंचाई से ली गईं तस्वीरें

ISRO ने अपनी सबसे आधुनिक पृथ्वी इमेजिंग सैटेलाइट Cartosat-3 का उपयोग करते हुए म्यांमार की भूकंप त्रासदी की तस्वीरें ली हैं। यह उपग्रह 50 सेंटीमीटर से कम रिजॉल्यूशन पर उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें खींच सकता है। इसरो ने पृथ्वी से लगभग 500 किलोमीटर की ऊंचाई से ये तस्वीरें लीं। जारी की गई तस्वीरों में इरावदी नदी पर बना पुल एतिहासिक पुल ढहता हुआ दिख रहा है। इसके अलावा, मांडले विश्वविद्यालय और ऐतिहासिक आनंदा पगोडा को हुए नुकसान की तस्वीरें भी सामने आई हैं।

Cartosat-3 के बारे में भी जानिए

ISRO के अनुसार, Cartosat-3 को 2019 में लॉन्च किया गया था। यह तीसरी पीढ़ी का अत्याधुनिक पृथ्वी इमेजिंग सैटेलाइट है, जो दुर्लभ रूप से उपयोग में लाया जाता है। इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) ने बताया कि भूकंप के बाद शनिवार को म्यांमार के मांडले और सगाइंग शहरों की तस्वीरें ली गईं। इसके अलावा, भूकंप से पहले 18 मार्च को ली गई तस्वीरों के साथ इनका विश्लेषण कर नुकसान का आंकलन किया गया।

Advertisment
इसरों की ओर से जारी की गईं सैटेलाईट तस्वीरें

स्काई विला, पुल और पगोडा ध्वस्त

तस्वीरों में मांडले शहर में बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचने के प्रमाण दिखाई देते हैं। प्रमुख स्थल जैसे स्काई विला, फयानी पगोडा, महामुनी पगोडा, आनंदा पगोडा और मांडले विश्वविद्यालय को आंशिक या पूर्ण रूप से नुकसान पहुंचा है।सगाइंग शहर में भी मा शी खाना पगोडा सहित कई मठों और इमारतों को क्षति हुई है। इरावदी नदी पर स्थित ऐतिहासिक अवा (InnWa) ब्रिज भी भूकंप में ढह गया। उपग्रह चित्रों में नदी के बाढ़ क्षेत्र में दरारें और तरलन (liquefaction) के संकेत भी देखे गए हैं।

भूकंप का केंद्र और प्रभाव क्षेत्र

यह भूकंप शुक्रवार को म्यांमार के सगाइंग-मांडले सीमा के पास, 10 किलोमीटर की गहराई पर आया। इसके बाद 6.4 तीव्रता का एक तेज़ आफ्टरशॉक भी महसूस किया गया। म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर मांडले भूकंप से बुरी तरह प्रभावित हुआ, जहां सड़कों, इमारतों और अन्य बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ। भूकंप का प्रभाव म्यांमार की राजधानी नायपीडॉ और अन्य क्षेत्रों में भी महसूस किया गया।भूकंप के झटके म्यांमार के पड़ोसी देशों में भी महसूस किए गए। थाईलैंड के चियांग माई और उत्तरी हिस्सों तक कंपन पहुंचा, जहां कुछ स्थानों पर नुकसान की खबरें आईं।

ISRO ने भूंकप का कारण भी बताया

Advertisment
ISRO ने अपनी क्षति आकलन रिपोर्ट में बताया कि म्यांमार भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की टकराव सीमा के पास स्थित है। यहां भारतीय प्लेट हर साल लगभग 5 सेंटीमीटर की गति से यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही है। म्यांमार के पास सगाइंग फॉल्ट जैसी कई छोटी भ्रंश रेखाएं भी हैं, जो देश के मध्य भाग से होकर गुजरती हैं। सगाइंग फॉल्ट एक सक्रिय स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट है, जो भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच पार्श्व गति को समायोजित करता है। ISRO के अनुसार, शुक्रवार का भूकंप संभवतः सगाइंग फॉल्ट या उसके सहायक फॉल्ट्स के तनाव मुक्त होने का परिणाम था।
Earthquake earthquake news Myanmar earthquake
Advertisment
Advertisment