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Photograph: (Google)
नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप की शपथ से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन की भारत की यात्रा के सुखद परिणाम सामने आने लगे हैं। भारत के साथ ऊजा संबंधों को सुदृढ़ करने और 20 साल पुराने ऐतिहासिक परमाणु समझौते को नई रफ्तार देने के उद्देश्य से अमेरिका ने भारतीय परमाणु संस्थानों पर लगे पुराने प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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जल्द पूरी होंगी सभी औपचारिकताएं
भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी एनएसए ने विदेश मंत्री जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा अमेरिका उन नियमों को हटाने की प्रक्रिया में है, जो भारत-अमेरिकी कंपनियों के बीच नागरिक परमाणु सहयोग में रुकावट डाल रहे हैं। उन्होंने कहा सभी औपचारिकताएं जल्द पूरी हो जाएंगी और इससे दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में नए अवसर खुलेंगे। उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह की सरकार ने इस समय की यूपीए सरकार को दांव पर लगाकर अमेरिका से परमाणु समझौता किया था। उस समय वामदलों ने मनमोहन सिंह की सरकार से समर्थन भी वापस ले लिया था।
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सुलिवन ने क्या कहा ?
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जानिए कब क्या हुआ
उल्लेखनीय है कि भारत और अमेरिका की सप्लाई पर बातचीत वर्ष 2000 के बाद शुरू हुई थी। वर्ष 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश की सरकार ने संप्रग की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के साथ महत्वपूर्ण परमाणु समझौता किया था। इस समझौते के तहत ही अमेरिका भारत को नागरिक परमाणु तकनीक बेचने की अनुमति देता है। परमाणु तकनीक को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानकों से अलग हैं। आमतौर पर दुनिय़ाभर में किसी परमाणु दुर्घटना की जिम्मेदारी संयंत्र चलाने वाली कंपनी की होती न कि संयंत्र बनाने वाली कंपनी की। अमेरिका अब उन प्रक्रियागत खामियों को दूर करने में जुटा है। हालांकि भारत में इसे लेकर नियम काफी सख्त हैं। इसकी वजह से विदेशी सप्लायरों केसाथ परमाणु सप्ताई के समझौते मुश्किल हैं। इसके कारण भारत ने जो 20 हजार मेगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य 2030 तक कर दिया, जो कि 2020 तक का था।
परमाणु परीक्षण के बाद लगे थे भारत पर प्रतिबंध
जान लें कि भारत के वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका वाणिज्य विभाग ने भारतीय परमाणु संस्थानों पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे। वर्ष 1998 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पोखरण में यह परमाणु परीक्षण किए थे। यद्दपि समय के साथ कई प्रतिबंध हटा लिए गए थे, लेकिन अब भी भारत के कुछ रिएक्टर, परमाणु ऊर्जा संयंत्र और परमाणु ऊर्जा विभाग की इकाइयां इस सूची में शामिल हैं। अब सुलिवन के नए बयान से स्पष्ट हो रहा है कि प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका का रुख नरम हो रहा है। 20 जनवरी को अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं। उम्मीद है कि अमेरिका प्रतिबंधों को लेकर और भी ज्यादा नरम रूख अपना सकता है। सुलिवन ने भी स्पष्ट किया है कि भारत-अमेरिका की साझेदारी अमेरिका की क्षेत्रीय और वैश्विक प्राथमिकताओं में केंद्रीय भूमिका में है।
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