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नियामक आयोग से अदाणी को बड़ा झटका, फर्जीवाड़े पर पॉवर प्लांट से बिजली खरीद प्रस्ताव पर रोक

नियामक आयोग ने फिक्स और वेरिएबल चार्जेज में भारी गड़बड़ी को लेकर नाराजगी जताते हुए अदाणी पॉवर से 1500 मेगावाट बिजली खरीद के प्रस्ताव पर रोक लगा दी है।

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Deepak Yadav
UPERC

नियामक आयोग ने अदाणी को झटका Photograph: (Google)

संघर्ष समिति ने कहा-ग्रांट थॉनर्टन ने अदानी पॉवर का भी कंसल्टेंट
इस दागी कंपनी के बनाए गए निजीकरण प्रस्ताव को किया जाय रद्द

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) से अदाणी को बड़ा झटका लगा है। आयोग ने फिक्स और वेरिएबल चार्जेज में भारी गड़बड़ी को लेकर नाराजगी जताते हुए अदाणी पॉवर से 1500 मेगावाट बिजली खरीद के प्रस्ताव पर रोक लगा दी है। ग्रांट थॉनर्टन कंपनी अदाणी पावर की भी सलाहार है। इस कंपनी पर अमेरिका में भारी जुर्माना लगा था। थॉनर्टन ने बतौर सलाहकार पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार किए हैं।

नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन से कहा है कि अदाणी पावर को भी इस केस की पार्टी बनाते हुए 18 दिसंबर तक एफजीडीएस संयंत्र न लगने पर बिजली खरीद की घटी कीमत का प्रस्ताव दाखिल करें। वहीं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने अदाणी थर्मल से बिजली खरीद के मामले में फर्जीवाड़ा सामने आने के प्रदेश में निजीकरण का निर्णय निरस्त करने की मांग की है।

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि भारत सरकार के एक आदेश के अनुसार, अब भारत के ताप बिजली घरों में फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन संयंत्र (एफजीडीएस) नहीं स्थापित किया जाना है। अदाणी पावर के साथ हुए बिजली खरीद समझौते में एफजीडीएस की लागत भी शामिल है जिसके चलते कम से कम 55 पैसे से 75 पैसे प्रति यूनिट तक अधिक दाम पर यह करार किया गया है। मोटे तौर पर इस संयंत्र की लागत 1.2 करोड़ प्रति मेगावाट होती है और इसके लगाने का खर्च उपभोक्ताओं से वसूल किया जाता है। 

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दुबे ने बताया की विद्युत नियामक आयोग ने पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन से पूछा है कि एफजीडीएस संयंत्र को न लगाने पर  लागत कम होने का विश्लेषण क्यों नहीं किया। एफजीडीएस संयंत्र को लगाने से फिक्स कास्ट भी बढ़ती है और वेरिएबल कॉस्ट भी बढ़ती है तथा ऑग्ज़ीलियरी कंजप्शन 1.2 प्रतिशत बढ़ जाने से बिजली की उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। 

उन्होंने कहा कि इस प्लांट के न लगने से उत्पादन लागत 55 से 75 पैसे प्रति यूनिट तक कम हो जाती है। इन सब की गणना किए बिना पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने अदाणी पावर से 5.38 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली खरीद का समझौता कर लिया, जिसे विद्युत नियामक आयोग ने रोक दिया है। आयोग ने कोयले पर जीएसटी की संशोधित दरों को लेते हुए भी बिजली की कीमत कम होने का सवाल उठाया है और इस पर भी पावर कॉरपोरेशन से रिपोर्ट मांगी है।

शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया कि इस फर्जीवाडा में पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन, अदाणी पॉवर और अदानी पॉवर के कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन की पूरी जिम्मेदारी है। इससे 55 पैसे से 75 पैसे प्रति यूनिट तक अधिक दरों पर अदानी पॉवर से बिजली खरीद का करार किया गया है। उन्होंने बताया कि निजीकरण के खिलाफ 358वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में प्रदर्शन जारी रखा।

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