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चीन-पाक की साइबर घुसपैठ से सतर्क रहने की नसीहत, फॉरेंसिक व डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर जोर

फॉरेंसिक साइंसेज में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि चीन-पाकिस्तान भारत की साइबर सुरक्षा के लिए लगातार चुनौती बने हुए हैं। इससे निपटने के लिए सुरक्षित डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, वैश्विक सहयोग की जरूरत है।

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Shishir Patel
Cyber Security

यूपी स्टेट इंस्ट्टीयूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न ।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।भारत की साइबर सुरक्षा पर चीन और पाकिस्तान लगातार सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने आगाह किया कि इस खतरे से निपटने के लिए सिक्योर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना जरूरी है। साइबर किल-चेन को तोड़ने के लिए वैश्विक सहयोग ही कारगर उपाय है। फॉरेंसिक क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर पीड़ितों को न्याय और अपराधियों को दंड दिलाया जा सकता है। ये विचार यूपी स्टेट इंस्ट्टीयूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज (UPSIFS) में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सामने आए। बुधवार को साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक साइंस की उन्नति और तकनीकी चुनौतियों पर पैनल डिस्कशन हुआ।

फॉरेंसिक विज्ञान आज की न्याय प्रणाली का अहम हिस्सा : न्यायमूर्ति 

समापन सत्र में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने कहा कि फॉरेंसिक विज्ञान आज की न्याय प्रणाली का अहम हिस्सा है और UPSIFS भविष्य में विशेषज्ञों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने कहा कि भारत में फॉरेंसिक विज्ञान तेजी से विकसित हो रहा है और संस्थान इसकी अगुवाई करेगा। राममनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के कुलपति अमरपाल सिंह ने चेताया कि तकनीकी विकास की गति इतनी तेज है कि कानून उसके पीछे छूट जाता है।एनएफएसयू दिल्ली की निदेशक डॉ. पूर्वी पोखरियाल ने साइबर अपराध को सीमाहीन बताते हुए कहा कि भारत को यूरोप, अमेरिका और चीन के अनुभवों से सीखना होगा। आईपीएस ब्रजेश सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा कि हिज्बुल्ला पेजर अटैक व लॉकबिट रैनसमवेयर जैसे मामले दिखाते हैं कि एक छोटा सा बदलाव भी बड़े असर डाल सकता है।

विशेषज्ञ रॉबी अब्राहम ने हैकिंग की बदलती तकनीक समझाई

UPSIFS के फाउंडिंग डायरेक्टर जीके गोस्वामी ने कहा कि न्याय तभी संभव है जब साक्ष्य सटीक और वैज्ञानिक हों। ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञ रॉबी अब्राहम ने हैकिंग की बदलती तकनीक समझाई, जबकि शांतनु भट्टाचार्य ने निर्भया केस के संदर्भ में मिक्स्ड डीएनए एनालिसिस का महत्व बताया। डॉ. मधुसूदन रेड्डी नंदी ने नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग और रैपिड डीएनए तकनीक पर जानकारी दी।कार्यक्रम में लखनऊ, नोएडा, हैदराबाद और अमेरिका से आए कई वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने फॉरेंसिक केसवर्क, डिजिटल सुरक्षा और बायोटेक्नोलॉजी के विभिन्न पहलुओं पर विचार साझा किए।सम्मेलन का निष्कर्ष यही रहा कि भारत को साइबर खतरों का सामना करने के लिए वैश्विक सहयोग, अत्याधुनिक तकनीक और मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर अपनाना होगा।

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