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ऊर्जा विभाग से फिसल रही एके शर्मा की पकड़ : संघर्ष समिति ने कहा-CM योगी संभालें कमान, निजीकरण पर लगे ब्रेक

संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कर्मियों के प्रयास से लाइन हानियां 41 प्रतिशत से घटकर 15 फीसदी से नीचे आ गई हैं। एक साल में विद्युत वितरण निगमों की लाइन हानियां राष्ट्रीय मानक से काफी नीचे आने की पूरी संभावना है।

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Deepak Yadav
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सीएम योगी संभाले ऊर्जा विभाग की कमान Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बेलगाम अधिकारियों पर लगाम कसने में नाकाम ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा की विभाग संभालने की क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि लिखित समझौता कर मुकर जाने वाले ऊर्जा मंत्री  बिजली कर्मियों का विश्वास पहले ही खो चुके हैं। अब ऊर्जा मंत्री और पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष के बीच मचे घमासान में आम जनता पिस रही है। ऐसे में जनता के हित में मुख्यमंत्री को ऊर्जा विभाग अपने पास रखना चाहिए।

लाइन हानियों में आई भारी गिरावट

संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कर्मियों के प्रयास से लाइन हानियां 41 प्रतिशत से घटकर 15 फीसदी से नीचे आ गई हैं। एक साल में विद्युत वितरण निगमों की लाइन हानियां राष्ट्रीय मानक से काफी नीचे आने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि विद्युत वितरण निगमों में सुधार के लिए केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के अंतर्गत प्रदेश को 44 हजार करोड़ रुपये मिले हैं। इस धनराशि को खर्च करके विद्युत वितरण निगमों को कौड़ियों के मोल निजी घरानों को बेचने की साजिश की जा रही है। इसी के विरोध में पिछले आठ माह से बिजली कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं।

राजस्व मिल जाए तो घाटा नहीं

पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण का एजेंडा लेकर चलने वाले झूठे आंकड़े देकर वित्तीय संकट का हौआ खड़ा कर रहे हैं। सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया और सब्सिडी की धनराशि को घाटे में जोड़कर निजीकरण का तर्क दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया मिल जाए तो उत्तर प्रदेश के विद्युत वितरण निगम किसी घाटे में नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिजली निगमों की परिसंपत्तियों को औने-पौने दामों पर बेचना और सरकारी जमीनें कौड़ियों के भाव लीज पर देना, सरकार की छवि को धूमिल करने की साजिश का हिस्सा है।

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