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बीबीएयू में हिंदी को बढ़ावा देने पर जोर : मंत्री रघुराज बोले- देश को विश्व के साथ जोड़ने का हिंदी सशक्त माध्यम

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा उत्सव के समापन समारोह में प्रदेश सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री रघुराज सिंह ने कहा कि ज्ञान का मार्ग कभी समाप्त नहीं होता। इसलिए जीवनभर विद्यार्थी की तरह सीखते रहना चाहिए।

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Deepak Yadav
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बीबीएयू में बोलते दर्जा प्राप्त मंत्री रघुराज सिंह Photograph: (BBAU)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री रघुराज सिंह ने कह कि ज्ञान का मार्ग कभी समाप्त नहीं होता। इसलिए जीवनभर विद्यार्थी की तरह सीखते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर देश अपनी मातृभाषा से ही प्रगति करता है। इसीलिए हिंदी भाषा को बढ़ावा देना सभी की जिम्मेदारी है। हमने इसे आधुनिक युग की जरुरत के अनुरूप विकसित करना चाहिए। हिंदी संस्कृति, परंपरा और इतिहास की अभिव्यक्ति और देश को विश्व के साथ जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम भी है।

हिन्दी में लेखन और अध्ययन पर जोर

रघुराज सिंह ने मंगलवार को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में हिंदी पखवाड़ा उत्सव के समापन समारोह में कहा कि वेद, पुराण, महाकाव्य, उपनिषद हमारे जीवन को दिशा देते हैं। इसलिए हिंदी में लेखन और अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करने के साथ रोजमर्रा की जीवनशैली में आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदी में संवाद करके से हम न केवल इस भाषा को जीवित रखते हैं, बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गौरव को भी सशक्त बनाते हैं। 

तकनीकी दुनिया में हिंदी का उपयोग बढ़ाना जरुरी

राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सभापति प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि भाषा संवाद का सबसे सरल और प्रभावशाली माध्यम है। तकनीकी दुनिया में हिंदी का उपयोग बढ़ाने और इसे सभी क्षेत्रों में प्रभावी बनाने की जरूरत है। हिंदी भाषा को सशक्त और विकसित बनाने के लिए मिलकर काम करना होगा, क्योंकि लोकतंत्र में कोई भी निर्णय या नीति तभी सफल होती है, जब वह जनता की समझ और सहमति के साथ लागू हो। हिंदी भाषा केवल हमारी पहचान नहीं, बल्कि हमारी शक्ति और संस्कृति का भी माध्यम है। इसलिए इसे प्रोत्साहित करना, इसे शिक्षित करना और सभी क्षेत्रों में इसका प्रयोग बढ़ाना हमारी साझा जिम्मेदारी है। 

हिंदी की उपेक्षा देश की राष्ट्रीय पहचान को खतरा

कुलसचिव डॉ. अश्विनी कुमार सिंह ने कहा कि हिंदी भाषा की उपेक्षा हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान के लिए भी खतरा है। हिंदी में ज्ञान का सृजन होता है। सबसे पहले शब्द अपनी मातृभाषा में बोलना सीखते हैं  इसी माध्यम से ज्ञान को आत्मसात करते हैं। किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए अपनी राजभाषा का महत्व अत्यधिक है। क्योंकि भाषा ही उस राष्ट्र के विचारों, मूल्यों और निर्णयों को सीधे जनता तक पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 का लक्ष्य तभी साकार होगा, जब हम अपनी भाषा की शक्ति और प्रभावशीलता को समझेंगे और इसे हर क्षेत्र में उतारेंगे। 

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