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बिहार चुनाव खत्म होते ही यूपी में बिजली निजीकरण टेंडर की तैयारी, परिषद ने आयोग को भेजा जनहित प्रस्ताव

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पावर कॉरपोरेशन पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेंडर जारी करने तैयारी कर रहा है।

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Deepak Yadav
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बिजली विभाग की बागडोर अभियंताओं के हाथों में देने की मांग Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पावर कॉरपोरेशन पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेंडर जारी करने की तैयारी कर रहा है। प्रदेश के 42 जिलों की बिजली व्यवस्था निजी कंपनियों को सौंपने के लिए तैयार किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट को मंजूरी दिलाने की कवायद तेज कर दी है। आशंका है कि निजीकरण की प्रक्रिया पुराने आंकड़ों के आधार पर आगे बढ़ाई जा सकती है। वहीं, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग को लोक महत्व प्रस्ताव भेजकर नई बिजली दरें तत्काल जारी करके निजीकरण का प्रस्ताव खारिज करने की मांग उठाई है। 

पुराने आंकड़ों पर निजीकरण की आशंका

उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन बिहार चुनाव संपन्न होने का इंतजार कर रहा था। चुनाव परिणाम आ गए हैं। अब कॉरपोरेशन बिजली दरों में वृद्धि और निजीकरण की प्रक्रिया तेज कर सकता है। परिषद ने कहा कि कॉरपोरेशन लगातार बयान देता रहा है कि जल्द ही आरएफपी जारी करके निजीकरण का टेंडर निकाला जाएगा। ऐसे में ऊर्जा विभाग जल्दबाजी में आयोग को जवाब भेजकर पुराने आंकड़ों के आधार पर निजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का प्रयास कर सकता है, जो उपभोक्ता हितों के विरुद्ध होगा। परिषद ने स्पष्ट किया कि 2025–26 की नई बिजली दरें जारी होते सभी डिस्कॉम के वित्तीय आंकड़े बदल जाएंगे। ऐसे में निजीकरण का मसौदा स्वत:अप्रासंगिक हो सकता है। 

निजी घरानों को लाभ पहुंचाने का आरोप

परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सभी ऊर्जा निगम अपने वार्षिक राजस्व आवश्यकताएं (ARR) आयोग को भेज चुके हैं। जनसुनवाई से लेकर राज्य सलाहकार समिति की बैठक तक सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण के लिए मात्र 6500 करोड़ का रिजर्व प्राइस रखा गया। इससे साफ है कि बिजली कंपनियों की अरबों रुपये की परिसंपत्तियां निजी घरानों को औने-पौने में सौंपने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे हालात में आयोग को नई बिजली दरें तत्काल जारी करके निजीकरण का प्रस्ताव खारिज करना चाहिए। 

परिषद की प्रमुख मांगें

  • निजीकरण से जुड़ा कोई भी निर्णय वर्ष 2025–26 के टैरिफ घोषित होने और अद्यतन वित्तीय आंकड़े उपलब्ध होने के बाद ही लिया जाए।
  • ऊर्जा विभाग द्वारा पांच महीने तक आवश्यक जानकारी न देने के कारण वर्तमान निजीकरण प्रस्ताव को तत्काल खारिज किया जाए।
  • भविष्य में किसी भी निजीकरण प्रक्रिया को पारदर्शिता, निष्पक्षता और नवीन वित्तीय मानकों के आधार पर संचालित किया जाए। ताकि राज्य के सभी उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रहें।
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