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पूर्व सांसद प्रो. रीता बहुगुणा जोशी Photograph: (YBN)
- लखनऊ विश्वविद्यालय में ‘यथार्थ’ का लोकार्पण
- पूर्व सांसद प्रो. रीता जोशी ने की सराहना
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्व सांसद प्रो. रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि पुस्तक समाज का दर्पण होती हैं। यह भ्रम है कि आज की युवा पीढ़ी किताबें नहीं पढ़ती। युवा पहले से अधिक पढ़ रहे हैं, लेकिन ई-बुक्स के माध्यम से। इंटरनेट के माध्यम से दुनिया के श्रेष्ठतम लेखक युवाओं की पहुंच में हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य न केवल समाज का दर्पण है, बल्कि संस्कृति का संरक्षक भी है।
काव्य संग्रह में समाज का दर्पण
प्रो. रीता बहुगुणा जोशी ने सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में सर्वेश कुमार मिश्र के रचित काव्य संग्रह ‘यथार्थ’ के लोकार्पण कार्यक्रम में कहा कि यह पुस्तक केवल एक कविता संग्रह नहीं, बल्कि समाज का दर्पण है। इसमें चेतना, करुणा, संवेदना और साहस को खूबसूरती से पिरोया गया है।
50 फीसदी छूट पर पुस्तक उपलब्ध करायी
पूर्व सांसद ने सर्वेश कुमार मिश्र की कार्यशैली की सराहना करते हुए प्रत्येक दो वर्ष में एक नई पुस्तक प्रकाशित करने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने पुस्तक की सार्थकता के दृष्टिगत आज के दिन 50 फीसदी छूट पर पुस्तक उपलब्ध करायी।
'यथार्थ' में जीवन का सार
पूर्व आईएएस अधिकारी और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राम मनोहर मिश्र ने ‘यथार्थ’ में संग्रहित कविताओं की गहन समीक्षा करते हुए बताया कि यह संग्रह आम जनजीवन की अनुभूतियों का सार है। मां के महत्व पर लिखी गई कविता को उद्धत करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य का वास्तविक मूल्य तभी है, जब वह लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाए।
पुस्तक स्वान्तः सुखाय और बहुजन हिताय का प्रतीक
लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवन अग्रवाल ने कविता की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "कल्पना और यथार्थ के सामंजस्य से उपजी कविताएं ही समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होती हैं।" उन्होंने ‘यथार्थ’ को "स्वान्तः सुखाय और बहुजन हिताय" के सुंदर समन्वय का उदाहरण बताया।
कविताओं में लोकमंगल की गूंज
साहित्यकार पवनपुत्र बादल ने एक लेखक की अनुभूति की तुलना उस पिता से की जो कन्यादान करते समय गर्व का अनुभव करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य हमेशा से लोककल्याण के लिए लिखा गया है और ‘यथार्थ’ इसी परंपरा को आगे बढ़ाता है। सचिवालय सेवा में सेवारत मुक्तिनाथ झा ने कहा कि "साहित्य की पांचों विधाओं का सम्मिलन ‘यथार्थ’ में देखने को मिलता है। इसकी कविताएं लोकमंगल की भावना से ओत-प्रोत हैं।
संग्रह में कुल 78 कविताएं
शतरंग प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक के संपादक सुरेंद्र अग्निहोत्री ने बताया कि इस संग्रह में कुल 78 कविताएं हैं, जिनमें कवि ने समाज की विसंगतियों, मानवीय चिंताओं, और आने वाली चुनौतियों को अत्यंत मार्मिक ढंग से अभिव्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सर्वेश मिश्र उन संवेदनशील रचनाकारों में हैं, जिन्हें गली में घूम रही गाय और भूखे स्वान की चिंता भी उतनी ही होती है, जितनी समाज की बड़ी समस्याओं की होती है।"
कविताओं ने छुआ दिल, भिगोई आंखें
कार्यक्रम में श्रवण कुमार सेठ ने यथार्थ में संकलित 'गांव की सैर' व अमरेंद्र द्विवेदी ने पिता को समर्पित कविताओं का काव्य-पाठ कर श्रोताओं को संवेदनाओं के सागर में उतार दिया। साहित्यकार आशुतोष पाण्डेय, अमरेन्द्र दिवेदी समेत कई साहित्य प्रेमी, विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
Education | Rita Bahuguna Joshi
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