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यूपी में दोहराई जा रही दिल्ली–उड़ीसा जैसी गलती : संघर्ष समिति ने कहा- बिजली पर निजी एकाधिकार उपभोक्ता हित में नहीं

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली क्षेत्र में निजी घरानों का एकाधिकार उपभोक्ताओं के हित में नहीं हैं। यह उपभोक्ताओं हित में नहीं है। इसे हर हाल में रोका ही जाना चाहिए।

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Deepak Yadav
protest against electricity privatisation

निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली क्षेत्र में निजी घरानों का एकाधिकार उपभोक्ताओं के हित में नहीं हैं। यह उपभोक्ताओं हित में नहीं है। इसे हर हाल में रोका ही जाना चाहिए। समिति का कहना है कि दिल्ली, उड़ीसा और चंडीगढ़ में की गई गलतियां उत्तर प्रदेश में दोहराई जा रही हैं। वहां बिजली का निजीकरण करके अरबों-खरबों रुपये की परिसंपत्तियों को निजी घरानों को कौड़ियों में दिया गया था। इसका खामियाजा उपभोक्ता अभी भी भुगत रहे हैं। 

मुनाफे के बाद भी बढ़ीं बिजली दरें

समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि दिल्ली, उड़ीसा और चंडीगढ़ में सुधार का दावा करने वाली निजी कंपनियों ने अभी तक यह नहीं बताया कि उन्होंने कौन से सुधार किए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सुधार हुए हैं तो इसका लाभ उपभोक्ताओं को क्यों नहीं मिला। निजी कंपनियां मुनाफे में हैं तो बिजली की दरें घटाने के बजाय बढ़ाई क्यों जा रही है?

निजीकरण के बाद दिल्ली–उड़ीसा में महंगी हुई बिजली

दिल्ली और उड़ीसा में निजी कंपनियां बिजली दर कम करने के बजाय बढ़ोतरी का प्रस्ताव हर साल देती हैं। हाल ही में चंडीगढ़ शहर में किए गए निजीकरण के बाद निजी कंपनी ने छह महीने में ही बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेज दिया। बिजली व्यवस्था सरकारी क्षेत्र में रहते हुए चंडीगढ़ में पिछले साढ़े 6 वर्षों में दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई थी और फिर भी मुनाफा हो रहा था। 

हजारों पदों समाप्त कर लेसा में वर्टिकल व्यवस्था लागू

संगठन के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि सरकार ने निजी क्षेत्र की कंपनियों को सीएजी ऑडिट से मुक्त रखा है। इससे कंपनियों के फायदे और नुकसान का सही लेखा-जोखा नहीं मिल पाता है। ऑडिट ना होने से निजी कंपनियां मनमाना खर्च दिखाकर इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डालती हैं। उन्होंने वर्टिकल व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। कहा, बिजली कर्मियों और अभियंताओं के विरोध के बावजूद पॉवर कॉरपोरेशन ने निजीकरण के लिए सभी संवर्गों के हजारों पदों को समाप्त कर लेसा में आज से नई व्यवस्था लागू कर दी है। इसके दुष्परिणामों कर जिम्मेदार प्रबंधन होगा। 

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निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी

दुबे ने बताया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 353वें दिन कर्मियों ने वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद में प्रदर्शन किया।

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