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वर्टिकल सिस्टम किराए के वाहनों पर निर्भर, संविदा कर्मचारी संघ ने कहा- बिजली व्यवस्था हो जाएगी चौपट

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ का आरोप है कि दिखावे के लिए कई मोबाइल वाहन सिर्फ एक दिन के लिए किराए पर मंगाए गए हैं।

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Deepak Yadav
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किराए के वाहनों के सहारे वर्टिकल व्यवस्था Photograph: (YBN)


लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी में आज से बिजली विभाग में वर्टिकल व्यवस्था लागू हो गई है। विभाग का दावा है कि बिजली संकट की शिकायत मिलते ही 'छोटा हाथी' वाहन चौखट पर दस्तक देगा। इसमें सीढ़ी और मरम्मत के उपकरण रहेंगे। अमौसी, लखनऊ मध्य, जानकीपुरम व गोमतीनगर जोन के नोडल उपकेंद्रों पर कुल 28 मोबाइल वाहन मुस्तैद किए गए हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि दिखावे के लिए कई मोबाइल वाहन सिर्फ एक दिन के लिए किराए पर लिए गए हैं। वर्टिकल व्यवस्था वास्तव में सुधार लाने के बजाय बिजली विभाग को चौपट कर देगी। 

वर्टिक व्यवस्था के नाम पर कर्मचारियों की छंटनी

संघ के प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र कुमार पांडेय ने कहा कि मध्यांचल के निदेशक (तकनीकी) को स्पष्ट करना चाहिए कि वर्टिकल व्यवस्था के तहत लखनऊ में तैनात किए गए वाहनों का अनुबंध कितने दिनों के लिए किया गया है। इसकी कोई जानकरी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि पावर कॉरपोरेशन वर्टिक व्यवस्था के जरिए आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी से हटा रहा है। इससे बिजली संकट और कर्मचारियों के सामने आर्थिक परेशानी पैदा हो गई है।

ढाई हजार संविदा कर्मी नौकरी से हटाए गए 

पांडेय ने कहा कि 15 मई 2017 को 33/11 केवी विद्युत उपकेन्द्रों के परिचालक और अनुरक्षण के लिए ग्रामीण विद्युत उपकेंद्रों पर 20 शहरी उपकेंद्रों पर 36 आउटसोर्स कर्मचारियों को तैनात करने का आदेश जारी किया गया था। पावर कॉपरोशन प्रबंधन अपने आदेश का उल्लंघन करते हुए ढाई हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। 

मुखिया का अता-पता नहीं 

वर्टिकल व्यवस्था में एक काम के लिए एक अभियंता जिम्मेदार होगा। इसके लिए बाबू से लेकर अधिशासी अभियंता तक की तैनाती हो चुकी है। हालांकि, जिन अधीक्षण अभियंताओं पर सिस्टम की पूरी जिम्मेदारी है,  उनकी तैनाती के आदेश जारी नहीं हो सके हैं।

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