Advertisment

फाइलेरिया उन्मूलन लक्ष्य पर मंथन, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दिए अहम सुझाव

फाइलेरिया उन्मूलन के वर्ष 2027 के लक्ष्य तक पहुंचने के प्रयासों को गति देने के लिए सोमवार को तीसरा राज्य स्तरीय मंथन हुआ। विशेषज्ञों ने सामूहिक प्रतिबद्धता, बहु-क्षेत्रीय सहयोग, नवाचार और सामुदायिक सहभागिता को भी फाइलेरिया उन्मूलन की कुंजी बताया। 

author-image
Deepak Yadav
filariasis elimination 2027

फाइलेरिया उन्मूलन लक्ष्य तक पहुंचने पर मंथन Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। फाइलेरिया उन्मूलन के वर्ष 2027 के लक्ष्य तक पहुंचने के प्रयासों को गति देने के लिए सोमवार को तीसरा राज्य स्तरीय मंथन हुआ। इसमें कार्यक्रम कवरेज सुदृढ़ करने, निदान और रोगियों की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करने जैसे सुझाव आए। विशेषज्ञों ने सामूहिक प्रतिबद्धता, बहु-क्षेत्रीय सहयोग, नवाचार और सामुदायिक सहभागिता को भी फाइलेरिया उन्मूलन की कुंजी बताया। 

2027 तक यूपी को फाइलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), रायबरेली की ओर से आयोजित इस कार्यशाला में स्वास्थ्य विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं तथा कार्यक्रम प्रबंधकों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य बहु-हितधारक संवाद, समस्या-समाधान और सामूहिक कार्ययोजना तैयार कर प्रदेश को वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य तक पहुंचाने के प्रयासों को गति देना था।

कार्यशाला में आए सुझावों के अमल  पर जोर

एक निजी होटल में आयोजित  कार्यशाला में एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. भोला नाथ और डॉ. सौरभ पाल ने वर्तमान फाइलेरिया परिदृश्य और उन्मूलन लक्ष्य पर चर्चा की। साथ ही प्रदेश की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए वर्ष 2027 की उन्मूलन रूपरेखा साझा की। कार्यशाला में फाइलेरिया उन्मूलन के तकनीकी पहलुओं पर भी चर्चा हुई। डॉ भोला नाथ ने बताया कि इससे पहले लखनऊ व रायबरेली में कार्यशाला हो चुकी है। छह अक्टूबर को गोरखपुर में कार्यशाला होने के बाद प्राप्त सभी सुझावों को उच्च अधिकारियों के समझ रखा जाएगा ताकि उन्हें अमलीजामा पहनाया जा सके। 

डॉ. सना इस्लाही ने की निदान परिदृश्य पर चर्चा

पाथ के डॉ. सिद्धार्थ दत्त ने सर्वजन दवा सेवन अभियान की कवरेज और अनुपालन चुनौतियों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कवरेज अंतराल, अनुपालन न होने के कारणों का विश्लेषण किया और प्रतिभागियों को समाधान खोजने में सक्रिय रूप से शामिल किया। एम्स की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. सना इस्लाही ने निदान परिदृश्य पर चर्चा की। उन्होंने पॉइंट-ऑफ-केयर डायग्नॉस्टिक तकनीकों की उपयोगिता व व्यवहार्यता पर प्रकाश डालते हुए फाइलेरिया निगरानी और रोग पहचान में उनकी अहम भूमिका बताई। 

Advertisment

अंतिम सत्र में रोगियों की देखभाल और प्रबंधन पर चर्चा

अंतिम सत्र में रोगियों की देखभाल एवं प्रबंधन पर चर्चा हुई। एम्स के सर्जरी विभाग के डॉ. दीपक राजपूत ने रोग प्रबंधन के लिए स्वास्थ्यकर्मी प्रशिक्षण ढांचे की जानकारी दी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के डॉ. तनुज शर्मा ने मॉर्बिडिटी मैनेजमेंट और डिसएबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) पर प्रकाश डाला। दोनों वक्ताओं ने जमीनी स्तर पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया।

फाइलेरिया उन्मूलन लक्ष्य पर जोर

कार्यशाला में सीएमओ कानपुर डॉ. हरि दत्त, सीएमओ कन्नौज डॉ. स्वदेश गुप्ता, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डॉ. निक्षय और गेट्स फाउंडेशन के डॉ. मनीक रेलन ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कार्यशाला से निकले ठोस सुझाव और प्रतिबद्धताएं निश्चित रूप से मौजूदा खाइयों को पाटने और वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन के प्रयासों को गति देने में सहायक होंगे।

यह भी पढ़ें- मांगों पर उदासनीता से कर्मचारी नाराज, 18 को करेंगे प्रदर्शन

Advertisment

यह भी पढ़ें- Health News : बलरामपुर अस्पताल में तीन डायलिसिस मशीनें खराब, मरीज परेशान

यह भी पढ़ें : पूर्वोत्तर रेलवे की पहली अमृत भारत एक्सप्रेस आज पटरी पर उतरेगी, रेल मंत्री दिखायेंगे हरी झंडी

यह भी पढ़ें- यूपी में दिवाली पर अंधेरे में डूबे रहेंगे हजारों घर, पावर कारपोरेशन की मनमानी का मामला पहुंचा नियामक आयोग

Advertisment

Uttar Pradesh Health News 

Uttar Pradesh Health News Health News
Advertisment
Advertisment