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घाटे से ज्यादा बिजली बिल बकाया : उपभोक्ता परिषद ने कहा- वसूली होने पर नहीं आएगी निजीकरण की नौबत

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों पर सबसे ज्यादा सरकारी बकाया कुल 8591 करोड़ रुपये है। बिल अदा कर दिया जाए तो अगले दो साल कंपनियों को वित्तीय संकट नहीं रहेगा। ऐसे में निजीकरण की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

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Deepak Yadav
electricity privatisation UP

Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  प्रदेश में बिजली कंपनियों के घाटे से ज्यादा बिल बकाया है। पांचों कंपनियों पर उपभोक्ताओं का करीब एक लाख 15 हजार करोड़ रुपये बिल बकाया है। अकेले सरकारी विभाग ही 31 मार्च तक 15,569 करोड़ रुपये की देनदारी लटकाए हैं। इनमें पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों पर सबसे ज्यादा सरकारी बकाया कुल 8591 करोड़ रुपये है। इन दोनों ऊर्जा निगमों को घाटे के नाम पर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है। जबकि बिजली कंपनियां 1 लाख करोड़ के घाटे में हैं। यानी पूरा बकाया वसूल लिया जाए तो बिजली कंपनियां फायदे में आ जाएंगी। 

पूर्वांचल-दक्षिणांचल पर सबसे ज्यादा सरकारी बकाया

प्रदेश के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम पर 3,193 करोड़ और पूर्वांचल डिस्कॉम पर 3193 करोड़ रुपये सरकारी विभागों का बकाया है। दोनों बिजली कंपनियों का 6 माह का सरकारी विभागों पर बकाया लगभग 4500 करोड़ है। यानी कि निजीकरण की घोषणा बाद सरकारी विभागों इन कंपनियों का बकाया बिजली का बिल ही नहीं दिया है।

औद्योगिक समूहों के फायदे के लिए निजीकरण

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेष कुमार वर्मा ने कहा ​कि औद्योगिक समूहों के फायदे के लिए निजीकरण किया जा रहा है। इससे सरकारी विभागों का बकाया निजी घरानों को एक मुश्त मिल जाएगा। वर्मा ने कहा कि सरकारी विभागों के बकाया बिल का भुगतान करने का बजटीय प्रावधान किया जा चुका है। बिल अदा कर दिया जाए तो अगले दो साल कंपनियों को वित्तीय संकट नहीं रहेगा। ऐसे में निजीकरण की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

बिजली कंपनियों पर सरकारी विभागों का बकाया

  • दक्षिणांचल 5398 करोड़ रुपये
  • पूर्वांचल 3193 करोड़ रुपये
  • मध्यांचल 3895 करोड़ रुपये 
  • पश्चिमांचल 1832 करोड़ रुपये
  • केस्को कानपुर 1250 करोड़ रुपये
  • कुल बकाया  15569 करोड़ रुपये
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