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मेरठ में जनसुनवाई में उपभोक्ता और किसान संगठनों का निजीकरण के विरोध में फूटा गुस्सा Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की बिजली दरों में प्रस्तावित वृद्धि को लेकर बृहस्पतिवार को मेरठ में जनसुनवाई के दौरान निजीकरण का जोदार विरोध हुआ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उपभोक्ता परिषद, उपभोक्ता और किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि पावर कारपोरेशन बिजली कंपनियों के घाटे के झूठे आंकड़े देकर उनका निजीकरण कर रहा है। सब्सिडी और सरकारी विभागों के बिजली राजस्व को घाटे में जोड़ना सरासर बेइमानी है। समिति के पदाधिकरियों ने नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार को एक ज्ञापन देकर निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी न देने ओर इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की।
पूर्वांचल डिस्कॉम फायदे में
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के आकंड़े देते हुए कहा कि 2024-25 में कुल 13,297 करोड़ रुपये राजस्व वसूला। इसके अलावा निगम को 5,321 करोड़ रुपये टैरिफ के लिए सब्सिडी, निजी नलकूप की 376 करोड़ सब्सिडी और 630 करोड़ रुपये बुनकरों की सब्सिडी मिली। इस तरह 19,624 करोड़ रुपये की आय हुई। पूर्वांचल में राज्य सरकार का सरकारी विभागों पर बकाया 4182 करोड़ रुपये जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा बढ़कर 23,806 करोड़ रुपये हो जाता है। आयोग को दिए गए आंकड़ों के अनुसार, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का कुल खर्च 20564 करोड़ रुपये है। ऐसे में निगम को 3,242 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है।
नुकसान नहीं, मुनाफे में दक्षिणांचल निगम
इसी तरह दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को 11546 करोड़ रुपये राजस्व मिला। इसके अतिरिक्त टैरिफ सब्सिडी 4692 करोड़, निजी नलकूप सब्सिडी 991 करोड़, बुनकरों की सब्सिडी 23 करोड़ रुपये मिली। इन सबको मिला दिया जाए तो कुल राजस्व 17252 करोड़ रुपये होता है। सरकारी विभागों का बकाया 4543 करोड़ रुपये जोड़ने के बाद कुल राजस्व आय 21795 करोड़ रुपए हो जाती है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का वर्ष 2024-25 में 19,639 करोड़ रुपये खर्च हुआ है। इस तरह वह 2156 करोड़ रुपये के फायदे में है। इस तरह दोनों बिजली कंपनियों को कुल 5398 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।
झूठे आंकड़ों पर नहीं होने देंगे निजीकरण
मेरठ की जनसुनवाई में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने निजीकरण के विरोध करते हुए कहा कि झूठे आंकड़ों के बल पर निजीकरण कर उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का बोझ नहीं डाला जा सकता। परिषद इसे स्वीकार नहीं करेगी। संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजीव राणा ने जमकर निजीकरण का विरोध करते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा। भारतीय किसान यूनियन भानू के अध्यक्ष सुमित शास्त्री ने कहा की किसी भी कीमत पर बिजली का निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और इसके विरोध में सड़कों पर उतरेंगे। वहीं, समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे कहा कि बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों के साथ उपभोक्ता संगठन और किसान लामबंद हो गए हैं। अब बिजली कर्मचारी इनके साथ मिलकर निजीकरण विरोधी संघर्ष को और धार देंगे।
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