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निजीकरण के खिलाफ आंदोलन के 300 दिन पूरे : बिजली कर्मियों ने भरी हुंकार, टेंडर होते ही जेल भरो सत्याग्रह का ऐलान

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कर्मी घाटे के झूठे आंकड़े, दमन और उत्पीड़न के नाम पर  निजीकरण की साजिश कामयाब नहीं होने देंगे।

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Deepak Yadav
protest against Electricity Privatisation

निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन करते कर्मचारी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारी आर-पार की लड़ाई को तैयार हैं। पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम को निजी हाथों में दिए जाने के खिलाफ जारी आंदोलन के 300 दिन पूरे होने पर मंगलवार को कर्मियों ने प्रदेश भर में आवाज बुलंद की। इसी क्रम में लखनऊ के शक्ति भवन में एकत्र होकर कार्मिकों ने प्रदर्शन किया और निजीकरण का टेंडर जारी होते ही समूचे राज्य में जेल भरो आंदोलन का संकल्प लिया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया।

टेंडर प्रक्रिया गुप्त रखने की ​साजिश

समिति के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन निजीकरण के मामले में बिचौलिए की भूमिका में है। इसके सदस्य लेन-देन को लेकर निजी घरानों के साथ मुलाकात कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पावर कारपोरेशन और डिस्कॉम एसो. के बीच यह तय हुआ है कि टेंडर की प्रक्रिया गुप्त रखी जाय। इसके अंतर्गत दोनों डिस्कॉम को भंग करके पांच निगम बनाकर अलग-अलग टेंडर निकाले जाएंगे। इसका एक लिंक होगा। लिंक तभी खुलेगी जब टेंडर डालने वाली निजी कंपनी पांच लाख रुपये का भुगतान करें। साथ में यह शपथ पत्र भी देना होगा की लिंक खुलने के बाद आरएफपी डॉक्यूमेंट को कोई कंपनी सार्वजनिक नहीं करेगी। 

आरएफपी डॉक्यूमेंट छिपाना बेहद गंभीर मामला

पदाधिकारियों ने कहा कि यूपी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है। ऐसे में टेंडर की पूरी प्रक्रिया और आरएफपी डॉक्यूमेंट को गोपनीय रखने से इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार लाखों करोड़ रुपये की बिजली कंपनियों की परिसंपत्तियों को गुपचुप ढंग से बेचा जा रहा है। आरएफपी डॉक्यूमेंट को छिपाना बहुत ही गंभीर मामला है।

कार्मियों ने प्रदेश भर में बुलंद की आवाज

संगठन के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ 28 नवंबर 2024 से लगातार चल रहे आंदोलन के 300 दिन पूरे होने पर बिजली व संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने लखनऊ के अलावा वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद में विरोध प्रदर्शन किया।

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