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निजीकरण के विरोध में 27 को बिजली कर्मचारियों का प्रदेशव्यापी प्रदर्शन Photograph: (vksssup)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण के खिलाफ 27 नवम्बर को बिजली कर्मचारी प्रदेश भर में प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद इस फैसले को निरस्त कराने के लिए 30 नवम्बर को लखनऊ समेत सभी जिलों में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक होगी। इसमें आन्दोलन को तेज करने का फैसला किया जाएगा। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के लिए तैयार किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट में दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के घाटे को बढ़ाकर जो आकड़ें दिये गये थे, विद्युत नियामक आयोग ने उन्हें अस्वीकार कर दिया। ऐसे में इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।
दक्षिणांचल-पूर्वांचल में लाइन लॉस कम
आयोग के अनुसार, दक्षिणांचल डिस्कॉम का वास्तविक लाइन लास 15.53 प्रतिशत और पूर्वांचल का 16.23 फीसदी तक आ गया है। आयोग के लक्ष्य के अनुसार, 2029-30 तक दक्षिणांचल की लाइन हानियां 11.83 प्रतिशत और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की 11.95 प्रतिशत लाने का बिजली कर्मी पूरे प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में अनावश्यक तौर पर निजीकरण का शगूफा छोड़कर पॉवर कारपोरेशन के शीर्ष प्रबन्धन ने ऊर्जा निगमों में कार्य का वातावरण बिगाड़ रखा है।
उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयां वापस लेने की मांग तेज
संगठन के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि आज अवकाश के दिन बिजली कर्मियों ने सभी जनपदों में कर्मचारियों के बीच व्यापक जन सम्पर्क कर 27 जुलाई को होने वाले प्रदर्शन की तैयारी की। उन्होंने कहा कि निजीकरण के विरोध में आन्दोलन तब तक जारी रहेगा जब तक इसे निरस्त नहीं किया जाता और आन्दोलन के फलस्वरूप की गयी उत्पीड़नात्मक कार्रवाईयां वापस नहीं ली जाती हैं।
Electricity Privatisation | VKSSSUP
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