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निजीकरण के विरोध में आवज बुलंद करते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी शुक्रवार को एक बार फिर सड़क पर उतर आए। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेश भर में कर्मचारियों ने 'कार्पोरेट घरानों सार्वजनिक क्षेत्र में पॉवर सेक्टर छोड़ो' अभियान चलाया। इसी क्रम में लखनऊ में सैकड़ों कर्मचारियों ने हाथ में तिरंगा लेकर रेजिडेंसी से शहीद स्मारक तक पद यात्रा निकाली। काकोरी क्रांति के 100 वर्ष पूरे होने यहां शहीदों पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहिड़ी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
बिजली सार्वजनिक क्षेत्र में रहना जरूरी
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कर्मियों ने कड़ी मेहनत से यूपी बिजली के क्षेत्र में सतत सुधार किया है। पिछले आठ वर्षों के प्रयास का परिणाम है कि लाइन हानियां 41 प्रतिशत से घटकर 15 फासदी तक आ गई हैं। जो राष्ट्रीय मानक है। पहले सबसे अधिक बिजली आपूर्ति और सबसे अधिक उपभोक्ताओं को बिजली देने का कीर्तिमान महाराष्ट्र के पास था। आठ वर्षों में बिजली कर्मियों के परिश्रम से आज उप्र देश में सबसे अधिक उपभोक्ताओं को सर्वाधिक बिजली आपूर्ति करने वाला प्रान्त बन गया है। यह सब कीर्तिमान बिजली के सार्वजनिक क्षेत्र में रहने के कारण ही बन पाये हैं।
विजन डॉक्यूमेंट 2047 में बिजली की अहम भूमिका
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दूबे ने कहा कि विजन डॉक्यूमेंट 2047 में सबसे बड़ी भूमिका बिजली की होगी। इसलिए बिजली सार्वजनिक क्षेत्र में बनाये रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अमर शहीदों के सपनों के भारत में बिजली मौलिक अधिकार होना चाहिए। इसलिए किसानों, गरीब और मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिलना बहुत जरूरी है, जो सार्वजनिक क्षेत्र में ही सम्भव है। निजी घरानों के लिये बिजली एक व्यापार है। निजीकरण हुआ तो योगी आदित्यनाथ के विजन 2047 के बजाय प्रदेश लालटेन युग में चला जायेगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारी 15 अगस्त तक यह अभियान चलायेंगे। इसके तहत किसानों और उपभोक्ताओं को निजीकरण से होने वाले नुकसान से अवगत कराया जाएगा।
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