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सीएम योगी से निजीकरण मसौदा सार्वजनिक करने की मांग Photograph : (social media)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण (Electricity Privatisation) को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिषद की मानें तो पावर कारपोरेशन प्रबंधन अपने चहेते औद्योगिक समूहों को फायदा पहुंचाने के लिए निजीकरण मसौदे के मानक में बदलाव कर रहा है। इससे जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए जाने के बाद भी कारपोरेशन ने उसे कैग के समक्ष पेश नहीं किया। परिषद ने दावा किया कि निजीकरण का मसौदा सार्वजनिक होने पर उसके हर पन्ने में छिपा घोटाला उजागर हो जाएगा।
अभी तक सीएजी के पास नहीं भेजा मसौदा
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण की प्रकिया को आठ माह से ज्यादा का समय बीत गया है। लेकिप पावर कारपोरेशन अभी तक एक वैधानिक मसौदा तैयार नहीं करा पाया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उच्चाधिकारी अपने चहेते औद्योगिक समूहों के फायदे के आधार पर मसौदे में मानक तैयार करवाते हैं। जोकि हर बार जांच में फेल हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि घोटाले की सजिश का पर्दाफाश होने से डर से पावर कारपोरेशन में अभी तक सीएजी को मौसदा और दस्तावेज नहीं भेजे हैं।
सीएम योगी से मसौदा सार्वजनिक करने की मांग
अवधेश वर्मा ने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया के लिए संवैधानिक और वित्तीय मानक हैं। उसके तहत कोई भी कार्यवाही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में की जानी चाहिए। लेकिन यहां हर एक मसौदा गोपनीय है। यहां तक कि जिस ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर प्रदेश में निजीकरण को आगे बढ़ाया जा रहा है, वह कहीं भी भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर नहीं है और ना ही पब्लिक डोमेन में है। इससे साफ है कि अधिकारियों को प्रदेश के 42 जनपदों को निजी घरानों को बेचने की छूट दे दी गई है। उन्होंने सीएम योगी से निजीकरण का मसौदा सार्वजनिक किए जाने की मांग की है।
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