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बिजली पर निजी घरानों का कब्जा उपभोक्ताओं के हित में नहीं Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। ऊर्जा क्षेत्र में निजी घरानों का एकाधिकार उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। इसे हर हाल में रोका ही जाना चाहिए। निजी कंपनियां सीएजी ऑडिट के दायरे से बाहर हैं। इससे इनके फायदे और नुकसान का सही लेखा-जोखा सामने नहीं आता। ऐसे में निजी कंपनियों के मुनाफे का उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को लाभ नहीं मिल पाता है। बिजली विशेषज्ञों का यही मानना है।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन की ओर से प्रदेश में बिजली निजीकरण में कथित घोटाले का अध्ययन करने के लिए गठित विशेषज्ञों की टीम ने कहा कि दिल्ली और उड़ीसा को निजी हाथों में देने गलती यूपी में दोहराई जा रही है। दोनों राज्यों में सुधार का दावा करने वाली निजी कंपनियों ने अभी तक यह नहीं बताया कि उपभोक्ताओं की बिजली दरें क्यों नहीं कम हुई? निजी कंपनियां मुनाफे में होने पर दरें बढ़ाई क्यों जा रही है?
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली, उड़ीसा और आगरा के निजीकरण में कुछ बड़ी गलतियां की गई थीं जिसका लाभ निजी घरानों को मिला। उदाहरण के तौर पर निजीकरण करने के लिए ट्रांजेक्शन कंसलटेंट के चयन में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई। परिणामस्वरूप कंसल्टेंट ने निजी घरानों से मिलीभगत में ऐसा आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार किया जो कुछ चुनिंदा निजी कंपनियों के हित में था।
विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने कहा कि विशेषज्ञों की पूरी रिपोर्ट आते ही सार्वजनिक की जाएगी। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 288 वें दिन आज बिजली कर्मियों ने वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद में मुख्यतया विरोध प्रदर्शन किया।
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