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निजीकरण से केन्द्र के 44 हजार करोड़ का निजी घराने उठायेंगे लाभ, उपभोक्ता परिषद ने UPPCL के दावे पर उठाए सवाल

पावर कारपोरेशन ने जुलाई में नियामक आयोग को लिखित रुप से बताया था कि​ निजीकरण को लेकर विरोध-प्रदर्शन जारी है। आरडीएसएस योजना के तहत बिजली चोरी, बिलिंग दक्षता, ऊर्जा लेखांकन और वितरण हानियों में बड़ा बदलाव निजीकरण के बाद दिखेगा।

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Deepak Yadav
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निजीकरण से केन्द्र के 44 हजार करोड़ का निजी घराने उठायेंगे फायदा Photograph: (google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों में सुधार के लिए कुल 44,094 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसमें 16,112 करोड़ लान हानियां कम करने और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए 27,342 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। जुलाई में योजना का आपेक्षित लाभ सामने नहीं आने पर नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से सवाल किए। इस पर कारपोरेशन ने निजीकरण के खिलाफ जारी आंदोलन के चलते योजना का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं होने पाने का हवाला दिया। साथ ही दावा किया कि निजीकरण के बाद योजना का लाभ बड़े पैमाने पर दिखेगा देगा। 

पावर कारपोरेशन के दावे पर सवाल

पावर कारपोरेशन ने जुलाई में नियामक आयोग को लिखित रुप से बताया था कि​ निजीकरण को लेकर विरोध-प्रदर्शन जारी है। आरडीएसएस योजना के तहत बिजली चोरी, बिलिंग दक्षता, ऊर्जा लेखांकन और वितरण हानियों में बड़ा बदलाव निजीकरण के बाद दिखेगा। कारपोरेशन का दावा है कि 31 मार्च 2026 तक योजना लाभाकारी सिद्ध होगी। वहीं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि निजीकरण से सिर्फ औद्योगिक समूहों को फायदा होगा। आयोग ने निजीकरण में ​कमियां न निकाल होतीं तो यह प्रकिया पहले ही आगे बढ़ चुकी होती। 

निजीकरण का फैसला लिया जाए वापस

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा सब कुछ प्री प्लान चल रहा है। सरकारी संस्था कैसे या बात लिखित रूप में दे सकती है कि निजीकरण के बाद इसका लाभ दिखेगा। यानी की पहले से पूरी तैयारी है। केन्द्र से मिले 44 हजार करोड़ रुपये का लाभनिजी घराने उठाएंगे। पावर कारपोरेशन मान रहा है कि वर्तमान में निजीकरण के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन से बिजली कंपनियों को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। अगर बिजली कंपनियों में सुधार ही पावर कारपोरेशन को इतनी ही चिंता है, तो सबसे पहले उसे निजीकरण का फैसला वापस लेना चाहिए। 

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