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ऊर्जा मंत्री की विधानसभा के उपभोक्ताओं फूटा गुस्सा Photograph: (Social Media)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में बिजली के निजीकरण को लेकर कार्मिकों का विरोध तेज होता जा रहा है। अब ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के अपने विधानसभा क्षेत्र के उभोक्ताओं का सब्र भी टूट गया है। उनका कहना है कि सरकार पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के 42 जिलों की बिजली व्यवस्था निजी कंपनियों के हाथों में देने तैयारी कर रही है। जो उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि विपक्ष इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। जो लोकतंत्र में उसकी जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करता है।
निजीकरण से बिजली दरों में इजाफा होगा
उपभोक्ता परिषद के वेबीनार में शनिवार को निजीकरण के खिलाफ उपभोक्ताओं का गुस्सा फूटा। ऊर्जा मंत्री के क्षेत्र के उपभोक्ताओं ने कहा कि अगर एके शर्मा आगामी चुनाव में वोट मांगने आएंगे तो उन्हें यह समझ आ जाएगा कि अदाणी, टाटा या एनपीसीएल नहीं, बल्कि जनता वोट देती है। आलोक यादव ने चिंता जताई कि निजीकरण के चलते बिजली दरों में इजाफा होगा और कनेक्शन के शुल्क भी बढ़ जाएगा।
ऊर्जा विभाग समाप्त हो जाएगा आरक्षण
संदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि निजी घरानों के आने की ऊर्जा विभाग की नौकरियों में आरक्षण समाप्त हो जाएगा। सरकारी नौकरियों की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा हताश होंगे। इसके बावजूद सरकार आंखों पर पट्टी बांधकर निजीकरण की राह पर आगे बढ़ रही है। दुर्भाग्यवश विपक्ष भी इस मुद्दे पर मौन साधे हुए तमाशबीन बना हुआ है। विनोद कुमार गुप्ता कहा कि ऊर्जा मंत्री प्रदेश में निजीकरण के सफल प्रयोग का हवाला देते हैं। जबकि दोनों प्रयोग पूरी तरह फेल हुए हैं।
बिजली निजीकरण पर सरकार उतावली, विपक्ष मौन
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार आंखों पर पट्टी बांधकर बिजली कंपनियों के निजीकरण के लिए उतावली है। जबकि विपक्ष पूरी तरह चुप्पी साधे बैठा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि विपक्ष ने समय रहते आवाज नहीं उठाई तो प्रदेश की जनता आगामी चुनाव में उसे भी करारा जवाब देगी। वेबिनार में हरेंद्र कुमार, विनय, मंजूलता, कुंवर सिंह, डेविड कुमार, रजनीश वर्मा सहित अन्य लोग शामिल रहे।
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