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चिंतन-मंथन शिविर में बोलते शैलेन्द्र दुबे Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के तत्वावधान में मेरठ में रविवार को आयोजित चिंतन-मंथन शिविर में अभियंताओं ने पावर कारपोरेशन की ओर से दिए गए निजीकरण के विकल्प को खारिज कर दिया। संकल्प लिया कि निजीकरण के विरोध में आंदोलन और तेज किया जायेगा। संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाता।
निजीकरण किसी स्थिति में स्वीकार नहीं
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के बाद दिए जाने वाले विकल्पों को खारिज कर दिया। उन्होंने विकल्प के तीनों बिन्दुओं निजी कंपनी की नौकरी ज्वॉइन करने, अन्य निगमों में वापस आने और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का विश्लेषण करते हुए यह बताया कि तीनों ही विकल्प बिजली कर्मियों के भविष्य को बर्बाद कर देंगे। अतः निजीकरण किसी स्थिति में स्वीकार नहीं है।
निजीकरण बहुत ही भयावह
पूर्व दिल्ली विद्युत बोर्ड के ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के संरक्षक सत्यपाल और सेक्रेटरी (मुख्यालय) यशपाल शर्मा ने निजीकरण के बाद दिल्ली में बिजली कर्मियों और अभियंताओं की हो रही दुर्दशा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि निजीकरण बहुत ही भयावह है अतः पूरी शक्ति से संघर्ष की तैयारी करिये।
बिजली वितरण फ्रेंचाइजी पर भड़के बिजली कर्मी
पश्चिमांचल के बड़े शहरों में अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी होने की जानकारी मिलने पर अभियंताओं में गुस्सा फूट पड़ा। शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि जिन शहरों में वर्टिकल सिस्टम लागू किया जा रहा है, वहां अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी का टेंडर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के टेंडर के साथ जारी किया जाएगा।
निजीकरण के विरोध में जारी रहेगा संघर्ष
संघ के महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने कहा कि शिविर का मुख्य उद्देश्य अभियंताओं को निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष के लिये प्रशिक्षित करना है। ऐसे पांच शिविर डिस्कॉम स्तर पर आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अभियन्ता संकल्प लेकर सामने आएं तो पावर सेक्टर में निजी घरानों को रोकना कोई कठिन काम नहीं है। निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष किया जाएगा।
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Electricity Privatisation | All India Power Engineers Federation